शाहपुर – नितिश पठानियां
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की और से पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत के पंचम दिवस में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री गरिमा भारती जी ने कथा का व्याखान करते हुए कहा कि यूँ तो ईश्वर निर्गुण निराकार हैं। लेकिन कभी-कभी दिशा भ्रमित मानव को दिशा दिखाने हेतु वह असीम परम सत्ता प्रभु ससीम मानवीय देह को धारण कर धरती पर प्रत्यक्ष हो जाते हैं।
अपने जीवन काल में तो वह अनेकों दिव्य लीलाओं से मानव का पथ प्रदर्शित करते ही करते हैं, उनकी लोला संवरण के पश्चात् उनकी लीलाएं भी भविष्य के भक्तों का सदैव मार्ग दर्शन करती रहती हैं। लेकिन उस इन्द्रियतीत प्रभु की दिव्य लीलाओं को मानव अगर अपनी बुद्धि के स्तर पर समझना चाहे तो वह उसी प्रकार से विफल हो जाएगा जैसे पर्वत की तलहटी पर खड़ा व्यक्ति पर्वत की ऊँचाई का आंकलन करने में विफल हो जाता है।
दुर्योधन ने जैसे भगवान श्री कृष्ण को समझा नही। वह विनाश काले विपरीत बुद्धि वाली स्थिति को प्राप्त हुआ । क्योंकि ईश्वर बुद्धि व भौतिक जगत का विषय नहीं है। वह तो आध्यात्मिक जगत का विषय है। उनकी लीलाओं की समझ तो तभी आ सकती है जब अध्यात्म का सूर्य हमारे अंतर्घट में उदित होकर हमें आध्यात्मिक उजाले से साराबोर कर देगा।
उसी उजाले में ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन घट में करता हुआ मानव उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत बना कर उनके दिखाए पथ पर अग्रसर हो पाएगा। तभी मावन में धर्म, राष्ट्र प्रेम, संस्कृति रक्षण, परोपकार, क्षमा, प्रेम जैसे गुणों का प्रकटीकरण होगा।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि आध्यात्मिक जागरण हमारे अंदर राष्ट्र सेवा का सच्चा भाव पैदा करता है। आध्यात्मिक ज्ञान से सराबोर लोग संगिठत होकर समाज की अनेकों कुरीतियों पर प्रहार कर उनका समूल विनाश कर सकते हैं।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा जन-जन को जाग्रति का संदेश दे रहा है और लोगों को महान भारतीय संस्कृति का बोध करवा कर उनमें देश भक्ति का भाव जगा रहा है।