प्रदेश के छात्रों को राहत, यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को जारी किए निर्देश
ब्यूरो – रिपोर्ट
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कोरोना काल के दौरान होस्टल और मेस फीस वापस नहीं करने को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।
यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि कोरोना के दौरान ली गई होस्टल और मेस फीस को जल्द से जल्द वापस करें या फिर मौजूदा फीस में उसे समायोजित करें।
साल 2020 में जब कोविड के चलते सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया था, तो उसम समय न तो छात्र होस्टल में रह रहे थे और न ही उन्होंने मैस का खाना खाया था। इसके बाद भी संस्थानों की ओर से छात्रों से ये दोनों प्रकार के चार्जिज लिए गए।
छात्रों ने इस बारे में यूजीसी से शिकायत की, जिसके बाद ये फैसला लिया गया है। संस्थानों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि तुरंत इन नियमों का पालन करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले भी 27 मई, 2020 और 17 दिसंबर, 2020 को इस संबंध में पहले आयोग ने विश्वविद्यालयों और संस्थानों को पत्र लिखा था।
छात्रों ने यूजीसी को शिकायत दी है कि उच्च शिक्षण संस्थानों ने कोरोना के दौरान होस्टल और मेस फीस ली, जबकि उस समय शिक्षण संस्थान बंद थे और वे घरों में थे। ऐसे में जब वे होस्टल में रुके नहीं और मेस में खाना ही नहीं खाया, तो उनकी फीस वापस की जानी चाहिए।
छात्रों ने अपनी शिकायत में कहा कि शिक्षण संस्थान उनकी फीस को वापस नहीं कर रहे हैं। इसके बाद यूजीसी ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए निर्देश जारी किए हैं। कितने संस्थानों ने फीस वापस की, इसका भी डाटा यूजीसी को भेजना होगा।
गौर रहे कि हिमाचल में अधिकतर छात्र होस्टल में रहकर ही अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं। शहरों में कमरा लेने के बजाय होस्टल में रहने को ही प्राथमिकता देते हैं।
एचपीयू में भी 17 होस्टल हैं, जहां बच्चों को रहने की सुविधा मिल रही है। ऐसे में अब यूजीसी के नियमों के तहत छात्रों से कोविड काल के तहत लिए गए सभी तरह के चार्जिज वापस करने होंगे।
होस्टल बंद, तो भी वसूली गई छात्रों से फीस
लॉकडाउन के बाद देश भर में शैक्षिक संस्थान लंबे समय तक बंद रहे थे। 2021 के आखिरी महीनों में धीरे-धीरे ऑफ कैंपस गतिविधियां शुरू हुईं, लेकिन होस्टल बहुत देर बाद खोले गए।
विवि एवं कालेज पहले ही होस्टल एवं मैस फीस ले लेते हैं, लेकिन इनके बंद होने के बावजूद यह फीस न तो वापस की गई और न ही समायोजित। छात्र और परिजन इसके लिए लगातार यूजीसी पहुंच रहे हैं।