लंबे समय तक जवान रखने वाला ‘सुपरफूड’ अब हिमाचल में, कृषि विश्वविद्यालय ने किया सफल उत्पादन

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पालमपुर – बर्फू

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हिमाचल के बागों में अब सेहत और स्वाद का खजाना लहलहाएगा! कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार संस्थागत रूप से ब्लूबेरी उगाने में सफलता हासिल करके एक बड़ी क्रांति ला दी है। यह खबर इसलिए भी खास है क्योंकि ब्लूबेरी सिर्फ एक स्वादिष्ट फल ही नहीं, बल्कि एक ‘सुपरफूड’ है जो बढ़ती उम्र के प्रभावों को धीमा करने, अल्जाइमर और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में भी मददगार है।

ब्लूबेरी एंटीऑक्सीडेंट गुणों, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और एंथोसायनिन जैसे तत्वों से भरपूर होती है। अब तक भारत में इसकी व्यावसायिक खेती शुरूआती दौर में थी, लेकिन पालमपुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की इस सफलता से हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए फसल विविधीकरण का एक नया और फायदेमंद विकल्प खुल गया है। यह न केवल उनकी आय बढ़ाएगा बल्कि पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

विश्वविद्यालय के अनुसंधान में ‘ज्वेल’, ‘मिस्टि’, ‘शार्पब्लू’, ‘गल्फकोस्ट’, ‘आलापाहा’ और ‘ऑस्टिन’ जैसी उच्च गुणवत्ता वाली किस्में हिमाचल के मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। इनमें से ‘ज्वेल’ किस्म के फल तो आकार में सबसे बड़े पाए गए हैं! इन किस्मों में टोटल सॉल्यूबल सॉलिड्स का स्तर भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप 11 प्रतिशत से अधिक है, जो इनकी गुणवत्ता को दर्शाता है।

वैज्ञानिकों ने ब्लूबेरी की खेती को और भी सफल बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। उन्होंने पाया है कि पौधों की नियमित छंटाई और ट्रिमिंग बहुत जरूरी है। पां च से छह साल पुरानी शाखाओं में से 30 से 40 प्रतिशत तक को हटाना और नई शाखाओं के ऊपरी हिस्से को काटना पौधों की उत्पादन क्षमता और वृद्धि के लिए लाभकारी है।

इसके अलावा, मिट्टी में सड़ी हुई पाइन की पत्तियां और छाल मिलाने से मिट्टी का पीएच स्तर सही रहता है और नमी भी बनी रहती है, जो ब्लूबेरी के पौधों के लिए आदर्श है। बोरॉन, कैल्शियम और जिंक जैसे सूक्ष्म तत्वों का छिड़काव करने से पौधों की वृद्धि और फलों की गुणवत्ता और भंडारण क्षमता में सुधार होता है।

डॉ. एनडी नेगी के बोल

उद्यानिकी एवं कृषि वानिकी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एनडी नेगी ने बताया कि विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में ब्लूबेरी की विभिन्न किस्मों के व्यावसायिक बाग स्थापित करना था और इस दिशा में उन्हें सफलता मिली है। विश्वविद्यालय के प्रदर्शनी फार्म में ‘ज्वेल’, ‘मिस्टि’, ‘शार्पब्लू’, ‘गल्फकोस्ट’ और ‘आलापाहा’ जैसी किस्में अब व्यावसायिक उत्पादन दे रही हैं और प्रति पौधा 2 से 4 किलो तक उपज दे रही हैं।

कुलपति प्रो. नवीन कुमार के बोल

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने इस अवसर पर कहा कि पालमपुर क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु ब्लूबेरी की खेती के लिए बहुत अनुकूल है। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि विश्वविद्यालय के निरंतर शोध और फील्ड ट्रायल्स के माध्यम से हिमाचल प्रदेश जल्द ही भारतीय हिमालय क्षेत्र में उच्च-मानव मूल्य वाली बागवानी का एक मॉडल बन सकता है।

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