व्यूरो, रिपोर्ट
कांगड़ा के रानीताल में पिछले तीन दिनों से भूस्खलन जारी है। शनिवार सायं हुए भूस्खलन से सड़क पर गुजर रहे दो वाहन इसकी चपेट में आने से बच गए। इस मार्ग पर जल्द कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए गए तो किन्नौर जैसी घटना घटित हो सकती है।
मटौर-शिमला नेशनल हाइवे पर रानीताल से पीछे सड़क पर दो जगह भूस्खलन हो रहा है। शनिवार सायं भी बाथू पुल से रानीताल की तरफ कुछ ही दूरी पहाड़ी से बड़े-बड़े आकार के पत्थर गिरे। बड़ी-बड़ी चट्टानें भी सड़क पर आ गई।
गनीमत यह रही कि बड़ी-बड़ी चट्टानों की चपेट में कोई वाहन नहीं आया अन्यथा कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता था। इसी स्थान से कुछ ही दूरी पर दो दिन पूर्व भी बारिश के कारण एक भूस्खलन प्वाइंट से बड़ी-बड़ी चट्टानें सड़क पर गिर गई थी जिससे मटौर-शिमला नेशनल हाईवे ढाई घंटे तक बंद रहा था।
रानीताल में हुए भूस्खलन के कारण स्थानीय वाहन चालकों में डर बैठ गया है कि भूस्खलन की चपेट में कोई वाहन ना आ जाए। रानीताल के पास स्थित भंगवार पंचायत के उपप्रधान राजीव कुमार ने बताया कि बाथू पुल से कुछ ही दूरी पर पहाड़ी से जब चट्टानें गिरी तो वह घटनास्थल से मात्र कुछ ही दूरी पर थे और उन्होंने तुरंत गाडिय़ों की आवाजाही को रोक दिया।
वाहनों की आवाजाही ना रोकी जाती तो कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता था। उन्होंने प्रशासन व सरकार से भी मांग की है कि इस स्थान पर जल्द कोई यहां सुरक्षा दीवार लगाई जाए, जिससे कोई हादसा न घटित हो।
रानीताल पंचायत प्रधान प्रवीण बाबी ने बताया कि बाथू पुल के दोनों ओर भूस्खलन प्वाइंट है जहां हर बरसात में पत्थर सड़क पर गिरते हैं, लेकिन दो दिन पहले हुई जिस तरह से बड़े-बड़े पत्थर गिरे हैं यह ङ्क्षचता का विषय है जिस पर सरकार व प्रशासन को सोचना होगा।
उधर, एसडीएम कांगड़ा अभिषेक वर्मा का कहना है कि कोई हादसा न हो इसके लिए नेशनल हाइवे को उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा गया है।
नेशनल हाइवे के साइट इंजीनियर अजय का कहना है कि मटौर-शिमला फोरलेन बनने जा रहा है जिसका कार्य एक निजी कंपनी को आवंटित हो चुका है और इस संबंध में अब कंपनी द्वारा ही कार्य किया जाएगा।