कुल्लू – आदित्य
धार्मिक नगरी मणिकर्ण घाटी के शारानीबेहड़ में माता रूपासना और ड्ढ़ेई में माता रूपासना के सम्मान में सदियाला पर्व मनाया गया।
शनिवार सुबह ठीक 4 बजे बर्फ में माइनस डिग्री के बीच शारानीबेहड़ में पूर्ण पुजारी ने मुख्य मशाल नंगे पांव निकाली, वहीं डढ़ेई में माता कैलाशना और देवता मकाल के सम्मान में बर्फ में सदियाला पर्व मनाया गया।
यहां मुख्य मशाल खेम चंद पुजारी और मोहर सिंह पुजारी ने मुख्य मशालें निकालीं। जलती मशालों के साथ मुख्य कारकून, हारियानों और भक्तों ने क्षेत्र की परिक्रमा की।
इस प्राचीन परंपरा के अश्लील जुमलों से परिक्रमा के बुरी आत्माओं को दूर किया, ताकि बुरी आत्माओं का वास न हो। हालांकि इस परिक्रमा में अश्लील जुमले रहे, लेकिन इससे पहले देव रिवायत से परिक्रमा का आगाज किया, पुजारियों ने पहले देवी-देवताओं के भंडार से जलती मशालें निकालीं।
इसके बाद बाहर देव स्थल में देवी-देवताओं की मशालों के दर्शन और इंतजार कर रहे हरियानों व भक्तों ने मौजूदगी दर्ज करवाई। बर्फ में यह भक्त बैठे थे।
इसके बाद देवी-देवताओं के नाम से निकली मशालों से सभी भक्तों ने मशालें जलाईं, जिसके बाद फिर परिक्रमा का दौर शुरू हुआ। इसके बाद धारला मंदिर तक चली।
यहां बड़ा जागरा डाला गया, जिसमें दुख बीमारी को दूर नदी पार करने और सुख-शांति, अनाज, बढिय़ा फसल को क्षेत्र में लाने की भेखल के डाल संग रिवायत को निभाया गया।