मंडी – अजय सूर्या
हिमाचल प्रदेश के पहले वेटर्न जर्नलिस्ट में शामिल रहे जाने-माने प्रखर पत्रकार, शिक्षाविद् एवं साहित्य व कला मर्मज्ञ दिवंगत हेमकांत कात्यायन की याद में हेमकांत कात्यायन मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा 25 दिसंबर को स्व. हेमकांत कात्यायन जी की जन्मजयंती पर पहले सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह मंडी शहर के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया।
इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में प्रेरणादायक कार्य करने के लिए तीन पुरस्कार दिए गए। जिसमें पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले वेटरन जर्नलिस्ट रमेश बंटा, साहित्य के क्षेत्र में डा. विजय विशाल और कला के क्षेत्र में मशहूर शहनाई वादक स्व. सूरजमणी को मरणोपरांत पुरस्कार से नवाजा गया।
अपने संबोधन में ओंकार शर्मा ने कहा कि मंडी पारंपरिक, सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में अपना योगदान देती आई है, जिसमें स्व. हेमकांत कात्यायन का अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि मंडी में नए शब्द भी देखने सुनने को मिलते हैं, जो कि अच्छा लगता है।
उन्होंने कार्यक्रम के पोस्टर पर लिखे शब्दों आदरांजलि और अविचल दृढ़ शांत – हेमकांत को पढ़कर बताया कि यही हेमकांत जी के व्यक्तित्व को दर्शाने के लिए काफी हैं।
ओंकार शर्मा ने कहा कि हेमकांत कात्यायन ने उस दौर में बेहतर कार्य किया जिस समय सुविधाओं का अभाव होता था। वह और उनके समय के साथी पत्रकारिता व साहित्य के स्तंभ हैं जिनके समाज के प्रति योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
ओंकार शर्मा ने कहा कि ट्रस्ट के माध्यम से जिन लोगों को सम्मानित किया गया है वह बधाई के पात्र हैं। ओंकार शर्मा ने कहा कि आज का दिन बहुत विशेष है क्योंकि आज देश के महान नेता रहे अटल बिहारी जी का जन्मदिन भी और मंडी की महान विभूति रहे हेमकांत कात्यायन की जन्मतिथि भी आज ही है।
उन्होंने कहा कि दोनों ही पत्रकार और कवि रहे हैं जो कि संयोग है व दोनों ने ही अपने अपने क्षेत्र में बेहतर करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें हिमाचल प्रदेश के बारह जिलों में काम करने का मौका मिला, लेकिन मंडी के लोगों की तरह जागरूक लोग उन्हें और कहीं नहीं मिले।
उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि शहर के चौहट्टा में सभी अधिकारियों कर्मचारियों की रिपोर्ट बनाई जाती है। ओंकार शर्मा ने बताया कि यहां के लोग स्थानीय परंपराओं के संवर्धन के साथ नासा जैसे संस्थानों में भी कार्य कर रहे हैं जो कि गर्व की बात है।