भारतीय फुटबॉल टीम में हिमाचली लाल ‘विशाल कायथ’ की दस्तक, फुर्ती से गोल रोकने में माहिर

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शिमला, 17 मार्च – नितिश पठानियां

दुनिया में ‘फुटबाल’ की खुमारी सिर चढ़कर बोलती है। छोटे से पहाड़ी प्रदेश से फुटबाॅल के राष्ट्रीय पटल पर चमकना आसान नहीं है। लेकिन, हिमाचल के रोहडू उपमंडल के लाल ‘विशाल कायथ’ ने कर दिखाया है। दरअसल, विशाल का चयन तीन देशों की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता के कैंप के लिए हुआ है।

कोलकाता में कोचिंग कैंप शुरू हो चुका है। फिलहाल, विशाल का चयन 23 सदस्यीय अस्थाई टीम के एक्स्ट्रा गोल कीपर के तौर पर हुआ है। विशाल ने आईएसएल में गोल्डन ग्लोव 2022-23 का अवार्ड जीतकर भी पहाड़ी प्रदेश को गौरवान्वित किया है।

ये अवार्ड इस कारण मिला, क्योंकि 12 मैचोें में एटीके मोहन बागान के खिलाफ एक भी गोल नहीं हुआ। रोहडू के विशाल कायथ को ये अवार्ड 18 मार्च को गोवा में इंडियन सुपर लीग के फाइनल मैच के दौरान मिलेगा।

तीन देशों की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता की मेजबानी भारत कर रहा है। ये प्रतियोगिता इम्फाल के खुमान लम्पक स्टेडियम में 22 मार्च से शुरू होने जा रही है। भारत को पहला मैच 22 मार्च को म्यांमार के साथ खेलना है। क्रिंग्स गणराज्य के साथ 28 मार्च को मुकाबला होगा।

रोहडू उपमंडल के शलावट गांव के रहने वाले विशाल कायथ मोहन बागान की टीम का हिस्सा बनकर इंडियन सुपर लीग में खेल रहे हैं। मोहन बागान की टीम 18 मार्च को बैंगलुरू के साथ आईएसएल का फाइनल मुकाबला खेलेगी। मोहन बागान की टीम में गोलकीपर की भूमिका में विशाल कायथ ने बिजली से तेज रफ्तार से दिखाकर फुर्ती से गोल बचाए हैं।

आंकड़ों के मुताबिक आईएसएल में मोहन बागानने 23 मैच खेले हैं। 20 मैचों में विजेता बनने का गौरव मिला। खास बात ये है कि 22 मैचों में विरोधी टीम मोहन बागानपर एक भी गोल नहीं कर सकी। यही वजह है कि मोहन बागान के साथ हिमाचल के विशाल कायथ की भी तारीफ हो रही है।

लंबे अरसे से फुटबाॅल जगत में शानदार सफर तय कर रहे विशाल कायथ ने कठिन परिश्रम से मंजिल का रास्ता तय करना शुरू किया है।

विडंबना ये है कि खेल जगत के फुटबॉल में हिमाचल के बेटे को अपने ही प्रदेश में पहचान नहीं मिली। आईएसएल में सुर्खियां बटोरने वाले विशाल कायथ की हौसला अफजाई के दो शब्द सरकारी तंत्र के अलावा खेल जगत से नहीं निकले हैं।

सेब बागवान पिता हीरा सिंह के बेटे विशाल ने शुरूआती समय रोहड़ू के स्पोर्टस होस्टल में बिताया। विश्वविद्यालय के स्तर पर भी उम्दा प्रदर्शन करने के बाद फुटबाॅल जगत में एक के बाद एक पायदान चढ़ रहे हैं।

शुरुआत में कोलकाता के एक फुटबाॅल क्लब का हिस्सा बने थे, लेकिन मोहन बगान की नजर से नहीं बच पाए। नतीजा ये हुआ कि मोहन बागान ने उम्दा गोलकीपर को अपनी टीम में शामिल कर लिया।

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