हमीरपुर के घोड़ी गांव के ग्रामीणों को उठाना पड़ा कड़ा कदम, वर्षों तक सुविधा न मिलने पर धीरे-धीरे करते गए पलायन
हमीरपुर,व्यूरो रिपोर्ट
कहते हैं सड़कें मानव जीवन की भाग्य रेखाएं होती हैं, लेकिन यदि किसी इनसान को ये भाग्य रेखाएं नसीब न हों, तो वह क्या करे। यह एक बहुत बड़ा सवाल है, जिसका जबाव जब काफी वर्षों तक ग्रामीणों को नहीं मिला, तो लोगों ने गांव ही छोड़ दिया और दूसरी जगह जाकर बस गए।
यहां बात हो रही है जिला हमीरपुर के गलोड़ तहसील के तहत पड़ती गोइस पंचायत के घोड़ी गांव की। करीब 12 परिवारों को अपने घर और गलियां इसलिए छोड़कर दूसरी जगह जाकर बसना पड़ा, क्योंकि इस गांव में आज तक सड़क सुविधा ही नहीं पहुंच पाई। आज गांव पूरी तरह से वीरान है।
अच्छे खासे मकान खंडहर में तबदील होते जा रहे हैं। गांव की उपजाऊ जमीन बंजर होने लगी है। बता दें कि ग्रामीणों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए दो किलोमीटर से अधिक का पैदल सफर जंगल के बीचों-बीच तय करना पड़ता था। परिजन रोजाना बच्चों को स्वयं स्कूल पहुंचाते थे और छुट्टी के वक्त भी उन्हें खुद ही बच्चों का लाना पड़ता था।
अपने व्यस्तम समय के बावजूद रोजाना ग्रामीणों को बारी-बारी यह ड्यूटी करनी पड़ती थी। जंगल होने के कारण बच्चों की चिंता सताती रहती थी, क्योंकि इस घने जंगल में कई तरह के जीव-जंतु होते थे। इसके अलावा जब कोई बीमार हो जाता था, तो सड़क तक पहुंचाने के लिए उसे पालकी में उठाकर ले जाना पड़ता था।
बता दें कि ग्रामीणों ने कई बार सड़क बनाने की मांग भी की, लेकिन बात आई-गई रही। आखिरकार तंग आकर ग्रामीणों ने इस गांव को छोडऩा ही बेहतर समझा। अब घोड़ी गांव ग्रामीणों के अभाव में वीरान है। स्थानीय लोगों के अनुसार कई बार सड़क की मांग उठी, लेकिन सड़क नहीं बन पाई।
कई वर्षों तक लोगों ने सड़क सुविधा मिलने की उम्मीद लगाए रखी। जब यह उम्मीद खत्म हो गई, तो लोगों ने इस गांव को ही छोडऩे का फैसला किया। अब लोग कभी कभार इस गांव में सिर्फ यहां मकानों की सफाई करने के लिए ही आते हैं।
खूब होती थी मक्की की पैदावार
ग्रामीणों संतोष कुमार, राजकुमार, राकेश कुमार, पवन कुमार, कमल शर्मा, काका, राजेंद्र शर्मा, राजेश शर्मा, निक्का राम, अशोक कुमार व राकेश कुमार ने बताया कि गांव के आसपास की भूमि काफी उपजाऊ है तथा यहां मक्की की टनों के हिसाब से पैदावार होती थी। गांव के लिए सड़क सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।