शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। बाढ़, भूस्खलन और भारी बारिश ने हजारों परिवारों को बेघर कर दिया, फसलों को नष्ट कर दिया और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया। इस संकट की घड़ी में, जब हिमाचलवासियों को नेताओं से सहानुभूति और समर्थन की सबसे अधिक आवश्यकता थी, तब सिर्फ़ भाजपा ने उन्हें गले लगाया।
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व, विशेष रूप से गाँधी परिवार, पूरी तरह गायब रहा। न तो उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, न ही पीड़ितों के लिए कोई ठोस राहत योजना की घोषणा की। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस को हिमाचलवासियों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं, बल्कि उनकी प्राथमिकता केवल सत्ता की राजनीति तक सीमित है।
पिछले विधानसभा चुनावों में हिमाचल की जनता ने कांग्रेस के झूठे वादों के बहकावे में आकर समर्थन दिया, लेकिन इस आपदा में उनकी अनुपस्थिति और उदासीनता ने लोगों का विश्वास तोड़ा है। स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन और आम नागरिक राहत कार्यों में दिन-रात जुटे हैं।
लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी और निष्क्रियता जनता के बीच आक्रोश का कारण बन रही है। यह समय था जब गाँधी परिवार को आगे आकर प्रभावितों के साथ खड़ा होना चाहिए था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने उनकी संवेदनहीनता को उजागर किया है।लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पड़ोसी राज्य पंजाब तो आए हिमाचल आना भूल गए वे सिर्फ़ छुट्टियाँ बिताने यहाँ आते हैं।
गांधी परिवार अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा , उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा तक नहीं किया और ना राहत व पुनर्वास के लिए कोई ठोस कदम उठाए। हिमाचलवासियों का दर्द नजरअंदाज करना कांग्रेस की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है। प्रदेश की जनता अब ऐसी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगी जो केवल वोट की चिंता करे, न कि उनके दुख-दर्द की।