हिमखबर डेस्क
पौंग झील में साथ लगते जंगलों से जहरीले सांप पानी के बहाव के साथ पहुंच रहे हैं तथा झील किनारे बड़े विशालकाय सांपों को देखा जा सकता है।
यह फनीयर झील किनारे चरने वाले पशुओं को डस कर मौत के घाट उतार देते हैं तथा झील किनारे बसे लोगों के घरों में पहुंच जाते हैं। कुछ लोग भी इन जहरीले सांपों के डस लेने से मौत का ग्रास बन जाते हैं। झील का जलस्तर बढ़ने से सांपों का घर में घुसने का डर सताने लगा है।
एक सर्च अनुसार अभी तक पौंग झील में 15 प्रजातियों के सांपों को पाया गया है, जिनमें कोबरा, क्रेट और वाइपर सबसे खतरनाक प्रजातियों के सांप है। कोबरा, क्रेट व वाइपर की चपेट में आने वाला व्यक्ति या पशु शायद ही बच पाता है।
हार, बढेला, हवाल, नागनी, हरसर, पनालथ, घाड़जरोट, नगरोटा सूरियां, सुगनाड़ा, खब्बल, बरियाल, नंदपुर, कथोली, लुदरेट इत्यादि इलाकों के गांव पौंग झील किनारे बसे हुए हैं।
बुद्धिजीवियों ने मांग उठाई है कि झील किनारे वाले लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने वाले अस्पतालों में सर्पदंश के टीके उपलब्ध होने चाहिए ताकि ऐसी स्थिति में अस्पताल आने वाले व्यक्ति की जान को बचाया का सके।
डीएफओ रेजीनोड रॉयस्टोन के बोल
वहीं, इस बारे में वन्य प्राणी विभाग हमीरपुर के डीएफओ रेजीनोड रॉयस्टोन ने कहा कि पौंग झील में नदियों-नालों व खड्डों के तेज बहाव के कारण विशालकाय व जहरीले सांप पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि लोग एहतियात रखें।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राजेश गुलेरी के बोल
उधर, इस बारे में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राजेश गुलेरी ने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सांप के काटने के 10-10 इंजेक्शन तथा सीएचसी व सिविल अस्पताल में 40-40 इंजेक्शन उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि लोग घरों के नजदीक झाड़ियों न होने दें तथा घरों के पास ईंट-पत्थर इत्यादि का ढेर न लगाएं। रात को उठते समय टॉर्च लेकर उठें तथा बूट इत्यादि को पहनने से पहले ठीक तरीके से हिला लें। कई बार जूतों के अंदर भी सांप इत्यादि घुस जाते हैं।
घरों के अंदर जितने भी पानी की निकासी, बरतन साफ करने के लिए जो निकासी के लिए पाइप लगी होती हैं, उन्हें पूरे तरीके से बंद रखें।