सिरमौर- नरेश कुमार राधे
हिमाचल में भगवान परशुराम की जन्मस्थली के समीप स्थित कटाहं शीतला पंचायत से मानव परिंदे उड़ान भर सकेंगे। टैक्निकल कमेटी ने मौके का निरीक्षण कर मंजूरी प्रदान कर दी है।
टेक ऑफ के लिए निजी भू मालिक द्वारा टूरिज्म विभाग को एनओसी उपलब्ध करवाई गई है। साथ ही लैंडिंग सरकारी भूमि पर होगी। इस कारण भूमि से जुड़ी कोई पेचीदगी भी नहीं है।
नाहन के रहने वाले पैराग्लाइडर अजय ठाकुर व पर्यटन विभाग अरसे से साइट को विकसित करने के बाद मंजूरी दिलाने की कोशिश में था।
शुक्रवार को तकनीकी कमेटी कटाहं शीतला के खैना गांव पहुंची थी। बारीकी से निरीक्षण करने के बाद साइट को मंजूरी दी गई है। पर्यटन विभाग अब यहां पैराग्लाइडिंग गतिविधियां शुरू करवाएगा। चूंकि टेक ऑफ व लैंडिंग साइट पर सरकार का नियंत्रण है, लिहाजा ये भी बताया जा रहा है कि सोलो फ्लाई करने वालों से कोई फीस भी नहीं वसूली जाएगा।
निरीक्षण के दौरान 7 बार अलग-अलग दिशाओं में फ्लाइट का तकनीकी पहलुओं से जायजा लिया गया। टैंडम व सोलो उड़ानें भरी गई।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पायलट ज्योति ठाकुर के नेतृत्व में रणजीत सिंह, राजकुमार, अरुण, अजय ठाकुर, राहुल, सन्नी व वरुण ने 400 से 700 फीट की उंचाई तक उड़ानें भरी।
जलाल नदी के तट पर लैंडिंग भी सफल रही है। डेढ़ से दो किलोमीटर तक की फ्लाइट भी कामयाब रही। अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के निदेशक अविनाश नेगी के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची थी।
सहायक जिला पयर्टन अधिकारी राजीव मिश्रा ने बताया कि तकनीकी कमेटी ने साइट को मंजूरी प्रदान कर दी है। एक सप्ताह के भीतर सरकार को रिपोर्ट दे दी जाएगी। इसके बाद साइट अधिसूचित होगी।
उधर, हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील श्री रेणुका जी में भी पहली बार साहसिक खेलों को हरी झंडी मिली है। जल क्रिड़ाओं के साथ ही साहसिक गतिविधियां भी करवाई जाएंगी।
चूंकि, धार्मिक पर्यटन के लिहाज से श्री रेणुका जी की एक अलग पहचान है। यहीं, भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ है। इसके अलावा हरिपुरधार घाटी भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनती है।
चंडीगढ़ के साथ-साथ देहरादून, यमुनानगर व अम्बाला इत्यादि से भी ये जगह नजदीक है। यही कारण है कि पैराग्लाइडिंग साइट के तेजी से विकसित होने की उम्मीद है।