गोरखपुर/ उत्तर प्रदेश, सूरज विश्वकर्मा
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पुलिस अफसरों के सख्त निर्देश के बाद भी पुलिस नहीं चेत रही। जमानत पर छूटे बदमाशों की निगरानी की व्यवस्था महज कागजों में चल रही है। नतीजा यह है कि जेल से छूटने के बाद बदमाश ताबड़तोड़ वारदात कर रहे हैं। हाल के दिनों में इस तरह की कई वारदात सामने आई हैं, जिसमें पता चला कि इसे जेल से छूटकर आए बदमाशों ने अंजाम दिया है।
अफसर लगातार बदमाशों के जमानत पर छूटने के बाद निगरानी का आदेश देते हैं। इसके तहत हर थाना पुलिस को उन पेशेवर बदमाशों के वर्तमान लोकेशन की जानकारी रखनी होती है कि आखिर वह जेल से छूटने के बाद क्या कर रहे हैं। मगर इस काम को पुलिस वाले सिर्फ कागज में ही करते हैं। इसका फायदा बदमाश उठाते हैं। अफसरों को पुलिस वालों की इस लापरवाही की जानकारी तब हो पाती है,जब फिर से वारदात में बदमाश पकड़े जाते हैं।
कानून व्यवस्था के जानकारों का कहना है कि आरक्षी अपने क्षेत्र के संभ्रांत और दुर्दांत किस्म के लोगों को जानते ही नहीं हैं। इस वजह से वह थानेदार या चौकी प्रभारी को सही सूचनाएं नहीं दे पाते हैं और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग अपने मंसूबे को अंजाम देने में सफल रहते हैं।
*जेल से छूटे तो की व्यापारी की हत्या, मुनीम से लूट*
*केस एक*
पीपीगंज इलाके में मनीष चौहान, सुनील चौहान सहित पांच बदमाशों को क्राइम ब्रांच की टीम ने तीन जून 2019 को मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था। बदमाशों ने ओम प्रकाश पांडेय नाम के एक व्यक्ति के हत्या की सुपारी ली थी। इस मामले में जमानत पर छूटने के बाद बदमाशों ने दोबारा वारदात शुरू कर दी। सिक्टौर गेट पर नौनतवां के व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके अलावा आजाद चौक पर सरिया व्यवसायी के मुनीम से 32 लाख रुपये लूट लिए।
*केस दो*
23 जनवरी 2019 को शाहपुर इलाके में रानू और रमेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में गगहा के भीटी रावत निवासी दुर्गेश यादव, पिपराइच के मनीष साहनी समेत कई लोगों को नामजद किया गया था। मनीष साहनी का नाम खोराबार इलाके में मेडिकल स्टोर संचालक रामाश्रय की हत्या में भी सामने आया है। 25 हजार रुपये इनाम घोषित होने पर वह पुराने केस में जमानत निरस्त कराकर जेल चला गया। इसकी भनक तक खोराबार पुलिस को नहीं लग सकी।