शिमला- जसपाल ठाकुर
राज्य लोक निर्माण विभाग में 5000 मल्टी टास्क वर्कर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह पहली बार है कि इस विभाग में इस कैटेगिरी की भर्ती होने जा रही है। इससे पहले बेलदारों की नियुक्ति होती थी।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बजट भाषण में पीडब्ल्यूडी को ये पद दिए थे। लोक निर्माण विभाग ने इस भर्ती के लिए ड्राफ्ट पॉलिसी बना दी है। इस पर अभी कार्मिक विभाग और वित्त विभाग के साथ चर्चा चल रही है।
यह पॉलिसी शिक्षा विभाग में बनी पार्ट टाइम मल्टी टास्क वर्कर पॉलिसी से बिलकुल अलग होगी। शिक्षा विभाग विधवाओं, गरीबों और स्कूल के नजदीक रहने वाले पात्र लोगों को इस भर्ती में मौका देने वाला है, लेकिन पीडब्ल्यूडी ऐसी पॉलिसी नहीं बना रहा। लोक निर्माण विभाग को इस भर्ती के जरिए लेबर चाहिए। अब तक जो चर्चा जारी है, उसके अनुसार विभागीय स्तर पर ही इस भर्ती की योजना है।
यानी हमीरपुर कर्मचारी आयोग को भर्ती का जिम्मा शायद न मिले, लेकिन इस विषय में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री कार्यालय से चर्चा के बाद होगा। यह भी संभव है कि कैबिनेट में भी इस भर्ती पर चर्चा की जाए। लोक निर्माण विभाग में लेबर की बहुत जरूरत है। कई वर्षों से बेलदार के पदों पर भर्ती नहीं हुई है, जो बेलदार हैं, वे रिटायरमेंट के नजदीक हैं।
इनमें से किसी का मेडिकल का इश्यू है, तो किसी का कुछ और मामला है। सारा काम ठेकेदारों की लेबर पर टेंडर के जरिए है। पहले चूंकि एसडीओ और एक्सईएन स्तर पर ही बेलदार रखने का फैसला हो जाता था, इसलिए इस कैटेगरी में बहुत से नेपाली भी रख लिए गए, जो अब सरकारी कर्मचारी हो गए हैं।
मल्टी टास्क वर्कर भर्ती नीति में यह सब नहीं हो पाएगा। हिमाचल के मूल निवासी ही इसके लिए पात्र होंगे। हालांकि प्रक्रिया क्या होगी, कौन सी कमेटी यह भर्ती करेगी या किस स्तर के अधिकारी को ये जिम्मा दिया जाएगा, यह अभी तय होना है।
आरक्षण रोस्टर अभी तय नही
शिक्षा विभाग ने अपने यहां मल्टी टास्क वर्कर रखती बार आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया है। तक दिया गया है कि ये कांटै्रक्चुअल अंगेजमेंट है, इसलिए आरक्षण रोस्टर नहीं लगेगा। इन्हें रेगुलर होने के लिए क्लेम करने का अधिकार भी नहीं होगा। लेकिन पीडब्ल्यूडी भी ऐसा क्या करेगा, यह अभी तय नहीं है।
लोक निर्माण विभाग में 5000 मल्टी टास्क वर्कर भर्ती के लिए हम कार्मिक और वित्त विभाग के साथ चर्चा में हैं। विभाग को चूंकि सक्रिय लेबर चाहिए, इसलिए हम शिक्षा विभाग वाली पॉलिसी से अलग अपनी नीति बना रहे हैं
सुभाषीश पांडा, प्रधान सचिव, पीडब्ल्यूडी