शिमला – नितिश पठानियां
भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते एक बार फिर तल्ख मोड़ पर पहुंच गए हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े रुख के जवाब में पाकिस्तान ने 24 अप्रैल को शिमला समझौते और अन्य सभी द्विपक्षीय समझौतों को अस्थायी रूप से निलंबित करने का ऐलान किया। लेकिन इसी बीच एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित ऐतिहासिक राजभवन के कीर्ति हॉल में उस ऐतिहासिक टेबल के पास लगा पाकिस्तान का झंडा छह महीने पहले ही हटा दिया गया था। सूत्रों की मानें तो राजभवन प्रशासन ने झंडे को कुछ महीने पहले वहां से हटा दिया था, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक सूचना सार्वजनिक नहीं की गई।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि झंडा हटाने के पीछे कारण क्या था। यह कोई सामान्य प्रक्रिया थी या नहीं। सोशल मीडिया पर अब यह भ्रम फैल रहा है कि झंडा हालिया आतंकी हमले और पाकिस्तान के रवैये के बाद हटाया गया है, लेकिन हकीकत इसके उलट है।
राजभवन में कीर्ति हॉल का विशेष महत्व है क्योंकि यहीं 3 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने ऐतिहासिक शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। आज भी उस टेबल को मंच पर पीतल की रेलिंग से सुरक्षित रखा गया है। टेबल पर एक पट्टिका लगी है, जिस पर लिखा है—”3-7-1972 को यहां शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।”
इसके पास ही इंदिरा गांधी और भुट्टो की हस्ताक्षर करते हुए ऐतिहासिक तस्वीर भी प्रदर्शित है। दीवारों पर भारत-पाकिस्तान शिखर वार्ता की दुर्लभ फोटोज भी आज तक सुरक्षित रखी गई हैं। केवल पाकिस्तान का झंडा ही गायब है, जिसे लेकर अब चर्चाओं का बाजार गर्म है।
राजभवन से जुड़े सूत्रों ने पुष्टि की है कि ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए कीर्ति हॉल में रखे सभी प्रतीक चिह्नों की नियमित निगरानी होती है। झंडा कब और क्यों हटाया गया, इस पर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है, हालांकि झंडा छह महीने पहले ही हटाया जा चुका था, लेकिन इसकी जानकारी अब सामने आई है। वो भी ऐसे समय में जब पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित करने की घोषणा की है।