पंचायत चुनाव में नए सिरे से लागू होगा रिजर्वेशन रोस्टर, हिमाचल की 3577 पंचायतों में कब होंगे चुनाव, जानिए

--Advertisement--

हिमाचल की 3577 पंचायतों में दिसंबर में होने हैं चुनाव, 2010 के अनुसार हो सकता है 2025 के चुनाव का आरक्षण रोस्टर।

शिमला – नितिश पठानियां 

प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर नए सिरे से रिजर्वेशन रोस्टर को लागू करने का फैसला लिया है। प्रदेश में दिसंबर माह में पंचायत चुनाव होने हैं।

पंचायत चुनाव लडऩे के इच्छुक लोग रिजर्वेशन रोस्टर में रोटेशन के हिसाब से अपने-अपने वार्ड-पंचायत के रिजर्व होने के कयास लगा रहे थे, लेकिन अब सरकार के नए सिरे से रिजर्वेशन रोस्टर को लागू करने के फैसले के बाद रिजर्वेशन-रोस्टर रोटेट नहीं होगा, बल्कि 2025 को बेस-ईयर मानकर फस्र्ट रोस्टर लगेगा।

हिमाचल प्रदेश में 3577 पंचायतें हैं। इन पंचायतों में प्रधान, उप प्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद के लिए चुनाव होने हैं। उपप्रधान ऐसी सीट है, जिस पर आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होता।

यानी प्रदेश की सभी पंचायतों में उपचुनाव पद पर किसी भी तरह का आरक्षण रोस्टर नहीं लगेगा। इस सीट पर कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।

इससे पहले हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2010 में नया आरक्षण रोस्टर लागू किया गया था। वर्ष 2010, 2015 और 2020 का चुनाव उसी रोस्टर के आधार पर करवाया गया।

दिसंबर, 2025 में होने वाले पंचायत चुनाव में पहले 15 साल बाद आरक्षण रोस्टर फिर बदला जाएगा। बताया जा रहा है कि रिजर्वेशन-रोस्टर को लेकर जो स्थिति 2010 में थी, लगभग वही रोस्टर 2025 में भी रहने वाला है। इसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन देखने को मिल सकता है।

रिजर्वेशन रोस्टर के अनुसार पहले चरण में सबसे पहले अनुसूचित जाति के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं। यह आरक्षण उस क्षेत्र की अनुसूचित जाति की जनसंख्या के अनुपात में होता है।

वहीं, दूसरे चरण में अनुसूचित जाति के बाद अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं। एसटी आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में निर्धारित होता है।

तीसरे चरण में एससी और एसटी आरक्षण के बाद ओबीसी का आरक्षण लागू होता है।

इसके बाद चौथे चरण में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू किया जाता है। जिस श्रेणी के लिए पंचायत या वार्ड रिजर्व करना है, उसकी आबादी पांच प्रतिशत अनिवार्य होती है। इससे कम आबादी पर आरक्षण नहीं मिलेगा।

किसी पंचायत में पांच प्रतिशत न तो एससी है, न एसटी और न ही ओबीसी है, तो वह पंचायत अनारक्षित हो जाएगी। उस पर कोई रिजर्व या ओपन कैटेगरी का व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है।

चुनावों में ऐसे लागू होता है आरक्षण रोस्टर

पंचायत प्रधान और पंचायत समिति सदस्य के लिए आरक्षण रोस्टर ब्लॉक स्तर पर लगता है। महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत पंचायतें आरक्षण करना अनिवार्य है, क्योंकि हिमाचल में पंचायतीराज चुनाव में साल 2010 में ही महिलाओं को 50 प्रतिशत रिजर्वेशन का प्रावधान कर दिया गया था।

इसके अलावा जिला परिषद सदस्य के वार्ड आरक्षित करने के लिए जिला की आबादी को आधार बनाया जाता है। महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करनी होती है।

पंचायत में यदि वार्ड मेंबर का आरक्षण तय करना है, तो सबसे पहले पूरी पंचायत में एससी की आबादी देखी जाती है। जिस तरह वार्ड मेंबर, प्रधान, बीडीसी और जिला परिषद का रोस्टर लगता है, ठीक वैसे ही जिला परिषद चेयरमैन और पंचायत समिति चेयरमैन का भी रोस्टर लगेगा।

जिला परिषद चेयरमैन के लिए पूरे जिला की आबादी और पंचायत समिति चेयरमैन के लिए ब्लॉक की आबादी देखी जाती है।

--Advertisement--
--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related

रेड क्रॉस शिविर में 69 लोगों ने किया रक्तदान

मंडी, 16 अक्तूबर - हिमखबर डेस्क  ंरेड क्रॉस सोसाइटी मंडी...

आपात परिस्थितियों में सीपीआर से बचाई जा सकती है किसी की जान

भोरंज के मिनी सचिवालय में सीपीआर पर आयोजित किया...

आंगनबाड़ी सहायिकाओं के साक्षात्कार 28 से 30 अक्तूबर को रैत में होंगे आयोजित

शाहपुर, कांगडा व धर्मशाला उपमंडल की कुछ पंचायतों के...