नालागढ़, सुभाष
प्राचीन पर्यावरण प्रणाली को बहाल करना वर्तमान में मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है तथा इस उद्देश्य को जन सहयोग के बिना हासिल करना असंभव है। प्रदेश सरकार द्वारा वन विभाग के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं तथा प्रतिवर्ष जल, जंगल व जमीन के संरक्षण के लिए अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।
इसके बावजूद पर्यावरण के प्रति मानवीय गफलत के कारण पिछले कुछ दशकों में जंगलों से न केवल कई प्रकार के पेड़ पौधे तथा औषधीय वनस्पतियां विलुप्त हो रही है। यह जानकारी उप अरनयपाल वन विभाग नालागढ़ यशुदीप सिंह ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नालागढ़ साहित्य कला मंच द्वारा आयोजित एक कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होने के दौरान अपने संबोधन में दी।
उन्होंने कहा कि असंतुलित पर्यावरण तथा बढ़ते प्रदूषण का मानव जाति सहित धरती पर मौजूद हर एक प्रकार के जीव जंतुओं पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बिगड़ते पर्यावरण संतुलन का ही परिणाम है कि आज प्राकृतिक जल स्त्रोत विलुप्त होते जा रहे हैं तथा हमारी प्राचीन सांस्कृतिक सभ्यता तथा मानव जाति के इतिहास से जुड़ी नदियों का जल स्तर निरंतर गिर रहा है।
उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में नालागढ़ साहित्य कला मंच के इस प्रयास की सराहना की तथा उन्हें बधाई दी। यशुदीप सिंह इस अवसर पर जानकारी दी कि उपमंडल मुख्यालय नालागढ़ में हाल ही में 57 लाख रुपए की लागत से एक भव्य नालागढ़ जैव विविध वन विकसित किया गया है।
जिसमें लगभग 300 किस्मों के 1200 पौधे लगाए गए हैं उन्होंने बताया कि इस जैव विविधत वन को सूचना प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा गया है तथा भविष्य में यह वन क्षेत्रवासियों के अलावा बाहरी राज्यों के पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र होगा।