नाबार्ड, जल शक्ति विभाग, लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने लिया भाग
धर्मशाला, 15 अक्तूबर – हिमखबर डेस्क
कांगड़ा और चंबा जिलों में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने के उद्देश्य से नाबार्ड की प्रमुख योजना, ग्रामीण आधारभूत विकास निधि पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन आज धर्मशाला में किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य विकास निधि के तहत प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना था। इसमें हिमाचल प्रदेश के नाबार्ड, जल शक्ति विभाग और हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यशाला के दौरान, डाॅ. विवेक पठानिया ने नाबार्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में हिमाचल प्रदेश के लिए स्वीकृत दो प्रमुख परियोजनाओं की घोषणा की, जिनकी कुल राशि 311 करोड़ रुपये है।
इनमें 11 जिलों में 53 इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग पाइंट्स के निर्माण के लिए नाबार्ड 111 करोड़ रुपये का वित्त पोषण कर रहा है, जिसमें कांगड़ा जिले में 11 चार्जिंग पाइंट्स के लिए 26.57 करोड रुपये आबंटित किए गए हैं।
जबकि कांगड़ा में एक अत्याधुनिक, स्वचालित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के लिए अतिरिक्त 200 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं।
इस संयंत्र की प्रारंभिक क्षमता 1.5 एलएलपीडी जिसे 3 एलएलपीडी तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे क्षेत्र के डेयरी क्षेत्र में वृद्धि होगी और स्थानीय रोजगार के अवसरों में इजाफा होगा।
नाबार्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में हिमाचल प्रदेश के लिए स्वीकृत 73 परियोजनाओं की स्वीकृति की गयी है जिसमें 713 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।
उन्होंने बताया कि 1995-96 में स्थापित नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना ने राज्य सरकारों को कम लागत पर वित्तीय सहायता प्रदान कर भारत में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नाबार्ड इस योजना के तहत 39 प्रकार की ग्रामीण आधारभूत विकास गतिविधियों का वित्त पोषण करता है, जिनमें मृदा संरक्षण, बाढ़ सुरक्षा, जलग्रहण विकास, ग्रामीण सड़कों, कोल्ड स्टोरेज, बाजार ढांचे, पेयजल और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं।
उन्होंने अधिशाषी इंजीनियरों से आग्रह किया कि वे शीघ्रता से व्यय दावों का प्रस्तुतिकरण करें ताकि निधियों का समय पर वितरण और परियोजनाओं की तेजी से पूर्णता सुनिश्चित हो सके।
इस कार्यशाला में परियोजना कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने के लिए डिजिटल नवाचारों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।
उपस्थित नाबार्ड के अधिकारियों ने आरआईडीएफ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन व्यय दावों के प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी।
यह प्रणाली निधियों के त्वरित वितरण को सक्षम बनाती है और परियोजना निष्पादन में पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
डाॅ. पठानिया ने नाबार्ड की व्यापक राष्ट्रीय उपलब्धियों की जानकारी भी दी, जिसमें उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2025 तक, नाबार्ड ने पूरे देश में 5.53 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं और 4.39 लाख करोड़ रुपये का वितरण किया है।
नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना ने भारत में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास और आजीविका संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस कार्यशाला का समापन कांगड़ा और चंबा जिलों में ग्रामीण आधारभूत विकास निधि परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन और पूर्णता के लिए एक आहवान के साथ हुआ। कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष को धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
कार्यशाला की अध्यक्षता नाबार्ड हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय, शिमला के मुख्य महाप्रबंधक डाॅ. विवेक पठानिया ने की। इसका संचालन नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक ऋषभ सिंह ठाकुर ने किया।
ये रहे उपस्थित
साथ ही नाबार्ड से हिमांशु साहू, जिला विकास प्रबंधक कांगड़ा एवं डाॅ. प्रेक्षा, सहायक प्रबंधक के अतिरिक्त जल शक्ति विभाग से राजेश कनुंगो, अधीक्षण अभियंता (धर्मशाला), विशाल जसवाल, अधीक्षण अभियंता (धर्मशाला सर्कल) तथा राजेश मोंगरा, अधीक्षण अभियंता (चंबा सर्कल) सहित कांगड़ा एवं चंबा जिलों के सभी अधिशाषी अभियंता उपस्थित रहे जबकि लोक निर्माण विभाग से इंजीनियर विकास सूद (मुख्य अभियंता), बी. एम. ठाकुर, अधीक्षण अभियंता (पालमपुर सर्कल), मो. पाल, अधीक्षण अभियंता (नूरपुर सर्कल), तथा दिवाकर सिंह पठानिया, अधीक्षण अभियंता (डलहौजी सर्कल) सहित दोनों जिलों के अधिशासी अभियंता कार्यशाला में सम्मिलित हुए।