धर्मशाला- राजीव जसबाल
आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानी चरण सिंह गुरुंग का देहांत हो गया। वह 98 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। उन्होंने बीती शाम खनियारा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। राजकीय सम्मान के साथ आज मांझी खड्ड मोझधाम में अंत्येष्टि होगी। उनका एक बेटा व तीन बेटियां हैं, जबकि एक बेटी का देहांत हो गया है।
1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आजाद हिंद सेना के गठन की घोषणा की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा से चरण सिंह गुरुंग ने ब्रिटिश सेना को छोड़ दिया और आजाद हिंद फौज में शामिल होकर अंग्रेजी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद गुरुंग को ब्रिटिश सेना ने पकड़ लिया था और आठ महीने तक जेल में रखा था। उसके बाद उन्हें ब्रिटिश सेना से बर्खास्त कर दिया गया और घर वापस भेज दिया गया। घर आने के बाद गुरुंग ने क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेना जारी रखा।
भारत को आजादी मिलने के बाद गुरंग सेना में शामिल हो गए। थ्री फोर जीआर में सेवाएं दी और वह 1975 में सूबेदार प्रधान लिपिक के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद चरण सिंह गुरुंग अपने पैतृक खनियारा गांव में आ गए। उन्होंने बाकि का जीवन यहीं पर बिताया। सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल रहे और धर्मशाला के गोरखा संघ के उपाध्यक्ष भी रहे।
खनियारा के विभिन्न संगठनों व लोगों ने चरण सिंह गुरुंग के निधन पर शोक व्यक्त किया है। गोरखा समुदाय के मुखिया अनिल गुरुंग, शिवराज थापा, लव कुमार छेत्री आदि ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है।