हिमखबर – डेस्क
जो चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं,
अक्सर वही मोहब्बत के, आसार लिए फिरते हैं।
बोलना है तो, कुछ बोलिए जनाब
क्यों ऐसे चेहरे पर, मुस्कान लिए फिरते हैं।
लबों से लब, जोड़ ही लिए हैं तो
बोलिए कुछ जनाब, क्यों आंखों के, इशारे किए फिरते हैं।
लिखना है तो लिखिए, हमें अपनी पलकों पर जनाब
क्यों निगाहों से हमें, चीर दिया करते हैं।
मौलिकता प्रमाण पत्र
मेरे द्वारा भेजी रचना मौलिक तथा स्वयं रचित जो कहीं से भी कॉपी पेस्ट नहीं है।
राजीव डोगरा (भाषा अध्यापक)
राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक, गाहलिया
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