अक्तूबर में ही लकदक हो गए पहाड़; बारिश से जिला में छूटी कंपकंपी, खेतों में सडऩे लगी धान की फसल, खतरे में खेती
हिमखबर डेस्क
कांगड़ा घाटी में पिछले दो दिनों से जारी बारिश ने जहां घाटी में ठंड बढ़ा दी है, वहीं धौलाधार की पहाडिय़ां बर्फ से लकदक हो गई हैं। अक्तूबर में ही धौलाधार पर बिछी बर्फ की रिकार्ड सफेद चादर हर किसी को आकर्षित कर रही है। वहीं, धौलाधार में भारी हिमपात व ओलावृष्टि होने से भेड़पालकों को समय से पहले ही निचले क्षेत्रों की तरफ आने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
कई भेड़पालक आत्यधिक बर्फबारी मौसम के पहले ही होने से लाहुल-स्पीति व दूसरी घाटियों में फंसकर रह गए हैं। हालांकि कुछ भेड़पालक मैदानी क्षेत्रों की तरफ आने के लिए धौलाधार की पहाडिय़ों में पहुंचे थे, लेकिन उन्हें अब काफी नीचे की तरफ आना पड़ रहा है।
धौलाधार में लगातार भारी बर्फबारी का दौर जारी है, जोकि भेड़-बकरियों व भेड़पालकों के जीवन के लिए भी खतरा बना हुआ है। इसके साथ ही मैदान पूरी तरह से दो दिनों से भारी बारिश से भीग रहे हैं। साथ ही तेज तूफान चलने से खेतों में खड़ी किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है।
जिला के ऊपरी क्षेत्रों में अक्तूबर में भारी बारिश से फसल पकने में ओर अधिक समय लग रहा है। जबकि कांगड़ा के मैदानी क्षेत्रों में बारिश से काटी हुई फसल तबाह होने लगी है। ऐसे में लगातार जारी बारिश से किसानों को साल भर की मेहनत के बाद धान की फसल बटोरने की चिंता सताने लगी है।
मैदानी क्षेत्रों में धान की फसल पक कर तैयार है, और इसकी कटाई का काम भी शुरू कर दिया गया है। इससे पहले लगातार तीन महीने तक बारिश के चलते फसलों को बड़ा नुकसान हुआ, इंदौरा के कई क्षेत्रों में लोगों के खेत तक बह गए हैं। अब अक्तूबर के पहले ही सप्ताह में बारिश व बर्फबारी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है।
वहीं, खड़ी फसल तेज हवाओं के कारण खेतों में बिछ गई है। लगातार जारी बारिश से किसानों को मौसम साफ होने के दौरान ही फसल की कटाई करने की सलाह कृषि विभाग ने दी है।
बर्फबारी पर्यटन के लिए अच्छा संकेत
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन स्मार्ट सिटी धर्मशाला के अध्यक्ष राहुल धीमान का कहना है कि अक्तूबर में धौलाधार पर बर्फबारी अच्छा संकेत है। बर्फबारी का पर्यटन को लाभ मिलता है, आगामी दिनों में बर्फ टिकी रहती है और बारिश न हो तो निश्चित तौर पर पर्यटक आमद बढ़ेगी।