फतेहपुर – अनिल शर्मा
तहसील फतेहपुर के अंतर्गत क़स्बा रैहन से सम्बंधित डॉ रोहित शर्मा, पुत्र डॉ आरपी शर्मा को हाल ही में पतंजलि अनुसंधान संस्थान (हरिद्वार) द्वारा पतंजलि विश्विद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित विशेष चर्चा मंच “प्लांट्स टू पेशेंट्स” में मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया ।
उन्हें देश के अलग-अलग एम्स के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर्स एवं भारत के कुछ शीर्ष वैज्ञानिकों के समक्ष योगगुरु स्वामी रामदेव जी नें सम्मानित किया ।
डॉ रोहित नें अपनी एमडी एवं पीएचडी की उपाधि गुजरात आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जामनगर से की है । उन्हें शोध सम्बंधित कार्यों के लिए पहले भी गुजरात के राज्यपाल द्वारा स्वर्ण पदक एवं इंडियन नेशनल साइंस अकेडमी द्वारा ‘यंग हिस्टोरियन ऑफ़ साइंस अवार्ड’ से सम्मानित किया जा चूका है ।
डॉ रोहित सीसीआरऐएस, आयुष मंत्रालय भारत सरकार में अनुसंधान अधिकारी के पद पर कुछ वर्ष कार्य कर चुके हैं तथा वर्तमान में वह चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।
हाल ही में उन्हें आईएमएस बीएचयू रिसर्च पब्लिकेशन अवार्ड २०२२ से नवाजा गया है । उनके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर २०० से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं ।
डॉ रोहित नें इस द्विदिवसीय सेमिनार में “आयुर्वेदिक ओषधियों के प्रयोग एवं क्रियाविधि” विषय पर साक्ष्य-आधारित व्याख्यान दिया।
डॉ रोहित नें वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ अलग अलग रिसर्च के उदाहरण देकर समझाया कि आयुर्वेदिक हर्बल दवाएं एवं भस्में शरीर के अंदर किन-किन मैकेनिज्म द्वारा शरीर की कोशिकाओं में कार्य करती हैं एवं कैसे ये दवाएं रोग निवारण, स्वास्थ्यवर्धन और इम्युनिटी बूस्टर के रूप में काम करती हैं ।
डॉ रोहित नें ये भी बताया कि आयुर्वेदिक दवाओं की गुणवत्ताऔर प्रभावकारिता को क्या क्या कारण प्रभावित करते हैं, तथा किस प्रकार से अगर आयुर्वेद के सिद्धांतों का सम्यग अनुपालन करने से दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सकता है ।
उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं से सम्बंधित कई जनमानस में फैली भ्रांतियों पर भी वैज्ञानिक विचार रखे एवं वहां उपस्थित डॉक्टर्स, वैज्ञानिकों, एवं मेडिकल विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का निवारण किया ।
डॉ रोहित के अनुसार आयुर्वेद में औषध अनुसंधान एवं गुणवत्ता पर अभी राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत कुछ किया जाना शेष है इसके लिए जन जागरूकता, बेहतर नीति निर्धारण एवं रिसर्च को बढ़ावा देने की जरुरत है ।
डॉ रोहित नें बताया कि स्वामी रामदेव जी को व्यक्तिगत रूप से जानना बहुत ही खुशी की बात थी और उनसे आयुर्वेदिक दवाओं की निर्माण विधियों एवं चिकित्सा पर चर्चा करना एक विशिष्ट अनुभव रहा।