धर्मशाला – राजीव जस्वाल
आस्था व पर्यटन का केंद्र डलझील अब फिर से प्रशासन व सरकार के गले की फांस बनने लगी है। अप्पर धर्मशाला नड्डी के साथ सटी यह झील बहुत ही रमणीक स्थल है।यहां पर देशी व विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। पर्यटन सीजन में यहां पर पर्यटकों की संख्या अधिक रहती है।
राधाअष्टमी को मणिमहेश नहौण के साथ ही यहां पर भी पवित्र स्नान होता है। ऐसी मान्यता है यह डल झील मणिमहेश के पानी से ही बनी है वहां का ही स्त्रोत यहां आकर फूटा है जिससे झील बनी है। एक दशक पहले झील के सुंदरीकरण को लेकर प्रयास किए गए तो झील के बीचोंबीच जेसीबी मशीन चलाई गई ताकि यहां की गाद हटाई जा सके।
लेकिन गाद हटाते हटाए कुछ ऐसा हो गया कि पहले तो झील के बीच में फूटने वाले पानी के फब्बारे ही बंद हो गए उसके बाद जब झील में पानी लौटा तो रिसाव शुरू हो गया। रिसाब भी इतना कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है।
जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के नुमाइंदे समय समय पर इसके लिए बजट का प्रावधान करके तकनीक का इस्तेमाल लेते रहे हैं, लेकिन प्रशासन व सरकार के प्रयास असफल रहे हैं। जब से डलझील से छेड़छाड़ हुई है तब से रिसाव नहीं रुक रहा है। पहले जलधाराएं फूटती रहती थी और पानी अधिकपानी नाले में प्रवाहित हो जाता था।
लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है।जलशक्ति विभाग ने इसके लिए मंडी से तकनीकी विशेषत्रों व भूगर्भशास्त्रियों का भी सहयोग लिया। लेकिन बात नहीं बनी। इसके लिए पर्याप्त बजट भी उपलब्ध है, लेकिन अभी तक रिसाव को रोकने में असफल रहे हैं। बीच में कुछ अध्ययन भी अलग अलग सरकारी एजेंसियों ने किए हैं।
अब स्थानीय विधायक विशाल नेहरिया, एनआइटी के विशेषयों की रिपोर्ट मुताबिक डीपीआर व बजट का प्रावधान करने की बात कह रहे हैं।