शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से बुधवार राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सीटू से संबंधित सभी यूनियनें शामिल हुईं। हड़ताल के चलते शिमला शहर में प्रदर्शनों से यातायात ठप हो गया। शहर में सैहब सोसायटी के कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं। इसके चलते घरों से कूड़ा नहीं उठा।
शिमला का राम बाजार भी बंद रहा। तहबाजारियों ने दुकानें नहीं खोलीं। रेहड़ी-फड़ी तहबाजारी यूनियन भी हड़ताल पर है। इस दाैरान बाजार से पंचायत भवन तक रैली निकाली गई। शिमला व्यापार मंडल इस हड़ताल में शामिल नहीं हुआ है। सीटू से संबंधित मिड डे मील और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी हड़ताल में शामिल हुईं।
इसके चलते स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में खाना बनाने का काम ठप रहा। हड़ताल में किसान, मजदूर संगठनों के अलावा होटल कर्मचारी, अस्पताल कर्मचारी, एसटीपी कर्मी, मनरेगा कर्मी, परियोजनाओं में काम कर रहे कर्मचारी, गाइड आदि शामिल हुए।
शिमला शहर में हड़ताल के दौरान सुबह पंचायत भवन से चौड़ा मैदान के लिए विशाल रैली निकाली। इस दौरान सर्कुलर रोड पर चक्का जाम लग गया। जाम के चलते बसों से उतरकर लोग पैदल चलने को मजबूर हुए। स्कूली बच्चों की गाड़ियां भी जाम में फंसी रहीं। इसके बाद चौड़ा मैदान में विशाल रैली में विभिन्न संगठनों के नेता शामिल हुए। ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल को माकपा और किसान सभा ने भी अपना समर्थन दिया है।
वहीं इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (आईजीएमसी), केएनएच, डीडीयू और चमियाना में आज सफाई कर्मचारी, वार्ड अटेंडेंट, ईसीजी तकनीशियन, लॉन्ड्री और मैस स्टाफ भी हड़ताल में शामिल हुए।
इन मांगों को लेकर हुई हड़ताल
सीटू के अनुसार केंद्र सरकार के लेबर कोड के जरिये मजदूरों पर गुलामी थोपने, बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ यह प्रदर्शन होगा। इसके अलावा शहर में तहबाजारी उजाड़ने, 26 हजार न्यूनतम वेतन करने, योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी करने, मनरेगा मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने, फसलों के समर्थन मूल्य, हिमाचली सेब पर मंडराते टैरिफ खतरे, आपदा राहत, बढ़ते कृषि संकट, जमीन की बेदखली, तालाबंदी, वाड़बंदी, पनबिजली परियोजनाओं, फोरलेन निर्माण से प्रभावित किसानों, दूध के प्रश्न आदि मुद्दों पर यह हड़ताल रखी गई।