हिमखबर डेस्क
मंडी पठानकोट राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर डॉ राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा से कुछ दूरी पर 53 मील के पास मोड़ में सड़क के बीचो-बीच बना खड्डा कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है। अब इसे विभाग की अनदेखी कहें या लापरवाही। यह मामला प्रकरण में तब आया जब बीते दिन उस खड्डे पर एक गाड़ी घुस गई और आगे से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत यह रही कि उस दौरान ज्यादा यातायात ना होने के कारण कोई हादसा पेश नहीं आया।
इस हादसे की वजह से वहां पर काफी जाम लग गया। पर कोई भी उस जाम को हटाने के लिए नहीं आया। सभी उस गाड़ी को खड्डे में फंसी देखने का मजा ले रहे थे। भारतीय सेना का काफिला जो लेह से पठानकोट की तरफ जा रहा था तो सेना के जवानों ने गाड़ी को कड़ी मशक्कत से खड्डे से बाहर निकाला और यातायात को बहाल किया।
विभाग कि इस तरह की लापरवाही से उस वक्त कोई भी हादसा हो सकता था क्योंकि प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल डॉ राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा के लिए वही एक मार्ग है। अगर उस मार्ग पर उस समय कोई एंबुलेंस किसी आपातकालीन व्यक्ति को लेकर जा रही होती तो शायद व्यक्ति वही पर दम तोड़ देता। यही ही नहीं, यह बात 53 मील के उस खड्ढे की ही नहीं है, यह मसला पूरी राष्ट्रीय उच्च मार्ग का है।
आप देख सकते हैं कि हमारा राष्ट्रीय उच्च मार्ग मंडी पठानकोट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। पर विभाग का इस पर कोई ध्यान नहीं है। लगता है कि विभाग कुंभकर्ण की नींद सोया हुआ है। लगता है जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, तब तक विभाग हरक़त में नहीं आएगा।