टांडा मेडिकल कालेज में बोरियों में बंद पड़ी सात नई डायलिसिस मशीनें, मरीजों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

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टांडा मेडिकल कालेज में अभी तक नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं कर पाया इंस्टाल, मरीजों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

काँगड़ा – राजीव जस्वाल

डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में डायलिसिस मशीनें स्टोर में धूल फांक रही हैं। चंबा व नूरपुर अस्पतालों से लगभग सात डायलिसिस मशीनें टांडा अस्पताल लाई गई हैं, लेकिन यह मशीनें स्टोर रूम में बोरियों में बंद पड़ी हैं, जिन्हें अभी तक नेफ्रोलॉजी विभाग में इंस्टाल नहीं किया जा सका है।

टांडा अस्पताल में केवल मात्र इस समय 14 डायलिसिस मशीनें कार्य कर रही हैं, लेकिन भारी संख्या में डायलिसिस करवाने के लिए यहां आने वाले मरीजों के लिए यह मशीनें बहुत कम हैं। विदित है कि प्रदेश के दूसरे बड़े टांडा अस्पताल आधे हिमाचल की 45 विधान सभाओं के छह जिलों चंबा, मंडी, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और 15 लाख की आबादी वाले सबसे बड़े जिला कांगड़ा से मरीज यहां उपचार के लिए पहुंचते हैं।

इन सात डायलिसिस मशीनों के इंस्टाल न होने के कारण रेगुलर डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को अपना डायलिसिस करवाने के लिए कई कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि टांडा अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग में 14 डायलिसिस मशीनें कार्य कर रही हैं, परंतु इनकी संख्या बढ़ते डायलिसिस मरीजों के औसतन बहुत कम है।

एक डायलिसिस मशीन पर औसतन 3 से 4 डायलिसिस हो पाते हैं, इसके अनुसार 14 डायलिसिस मशीनों पर 50 से 60 के करीब डायलिसिस ही हो पाते हैं, लेकिन अगर नई सात डायलिसिस मशीनों को इंस्टाल कर दिया जाए, तो वेटिंग करने वाले डायलिसिस मरीजों को राहत मिल सकती है और इन मरीजों को डायलिसिस करने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

एक साथ 21 डायलिसिस मशीनें कार्य करना शुरू कर दें, तो बहुत सारे डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। हैरानी की बात है कि डायलिसिस के मरीजों की बढ़ती संख्या के बाबजूद भी इन मशीनों को इंस्टाल नहीं किया जा रहा है।

चंबा व नूरपुर से लाई गई 7 डायलिसिस मशीनें स्टोर रूम में बोरियों में बंद धूल फांक रही हैं। जिन्हें अभी तक बोरियों से भी नहीं निकाला गया हैं जिसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है जिनको कई कई दिनों तक डायलिसिस के लिए इंतजार करना पड़ता है।

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