हिमखबर डेस्क
धर्मशाला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में नशा अपना फन फैला रहा है, जिसे कुचलना बहुत जरूरी है। सरकार हिमाचल प्रदेश में नशे के संपूर्ण नाश के लिए संजीदगी से काम करे, विपक्ष सरकार का हर स्तर पर सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रदेश से नशे का कलंक मिटाना भारतीय जनता पार्टी की प्रतिबद्धता है। जिस प्रकार से हिमाचल प्रदेश में नशे का आतंक फैल रहा है सरकार उसके उन्मूलन के लिए गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। बीते तीन हफ्तों में ही नशे ओवरडोज चार युवाओं की मौत की खबरें अखबारों में प्रकाशित हो चुकी है।
विधानसभा में सरकार ने सुक्खू सरकार के गठन से लेकर 31 जुलाई 2024 तक नशे के ओवरडोज 11 मौतों का आधिकारिक पुष्टि की है। बहुत सारे सामाजिक दबाव की वजह से ड्रग के ओवरडोज के वास्तविक मामले कभी भी सामने नहीं आ पाते हैं।
मुझे यह बात कहते हुए बहुत अफसोस हो रहा है कि वास्तविक आकड़ा कागजी आंकड़ों से बहुत बड़ा है। इसलिए अब बिना देर किए नशे के खिलाफ हमें निर्णायक लड़ाई छेड़नी है। जयराम ठाकुर ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी तो हमने नशे का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए जन सहभागिता के महत्व को समझा, क्योंकि आम लोग भी नशे के दुष्प्रभाव का कहीं न कहीं शिकार होते हैं और नशे के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण सूचनाओं के रूप में अपना योगदान देते हैं और बदले में चाहते हैं कि उनकी पहचान गुप्त रखी जाए।
इसलिए हमारी सरकार ने आम लोगों से नशे के कारोबारियों की सूचनाएं प्राप्त करने के लिए हिमाचल ड्रग फ्री एप की शुरुआत की, इसे 50000 लोगों द्वारा डाउनलोड किया गया और इस ऐप के माध्यम से 4000 से ज्यादा शिकायतें आई जिस पर पुलिस द्वारा प्रभावी कार्रवाई की गई।
इसी के साथ मुख्यमंत्री सेवा संकल्प में नशे के खिलाफ सूचना देने के लिए एक डेडीकेटेड लाइन बनाई गई जिसे आईवीआर के विकल्पों के द्वारा ही कॉलर को प्रदान किया गया था। मुख्यमंत्री सेवा संकल्प के माध्यम से आई शिकायतों को सीधे नशा निवारण समिति को भेजा जाता था और वह उस पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करती थी।
व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार के आने के साथ ही नशा निवारण समिति को निष्प्रभावी कर दिया गया। हिमाचल ड्रग फ्री एप और सीएम हेल्पलाइन द्वारा नशे के खिलाफ आम लोगों से मिल रही सुविधा का विकल्प बंद हो गया। वर्तमान में पुलिस के बहुत सारे लोगों के भी नशा कारोबारी से मिलने की खबरें सामने आई हैं, ऐसे में आम आदमी किस पुलिस पर भरोसा करके नशे के खिलाफ सूचना देकर अपनी जान आपात में डालना चाहेगा।
आम लोगों द्वारा मिल रहे सटीक और निष्पक्ष सूचना के विकल्प बंद करके सरकार ने यह साफ कर दिया कि वह नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए कितना गंभीर है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा एक तरफ प्रदेश के लोगों को कोई नौकरी नहीं दी जा रही है दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा कौशल विकास के लिए चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम भी बंद कर दिए गएहैं। पिछले 6 महीने से कौशल विकास के सारे प्रशिक्षण बंद हैं।
हमारी सरकार द्वारा पांच साल में एक लाख से ज्यादा युवाओं को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित किया गया था जिनमें से 20000 युवाओं को विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में उसी समय नौकरी भी मिली थी। इसके साथ ही युवाओं को नौकरी मांगने की वजह नौकरी देने वाला बनाने के लिए हमने स्वावलंबन योजना शुरू की जिसके तहत प्रदेश में लगभग 4500 व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना हुई और हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिला। इस योजना के तहत हमारी सरकार ने 200 करोड रुपए जारी किए थे। अफसोस है की यह योजना भी आज बंद है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सत्ता संभालते ही हमने नशे के खिलाफ प्रभावी लड़ाई लड़ने के लिए हिमाचल से सटे हुए राज्यों के साथ नशे के कारोबारी पर नकेल कसने की पहल की। क्योंकि एक सरकार द्वारा दबाव बनाए जाने पर ड्रग पेडलर्स आसपास के राज्यों में शिफ्ट हो जाते थे।
इसलिए हमने पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और बाद में दिल्ली तथा राजस्थान के साथ मिलकर काम करने की पहल की। बॉर्डर जिला में पुलिस की सक्रियता और बढ़ाने के लिए नूरपुर को भी पुलिस जिला बनाया, जिससे नशे के कारोबारियों को के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आए। लेकिन वर्तमान सरकार नशे के खिलाफ कार्रवाई में ढुलमुल रवैया अपना रही है।
प्रदेश के पूर्व विधायक और लोकसभा के प्रत्याशी आज प्रदेश के डीजीपी के खिलाफ दुनिया भर के आरोप लगा रहे हैं, उल्टी- सीधी बातें कर रहे हैं। पुलिस के दर्जनों जवानों पर नशे के कारोबारी के साथ मिली भगत के आरोप लगने की खबरें छप रही हैं। प्रदेश के लोगों में उहापोह की स्थिति है। इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी मुख्यमंत्री द्वारा अपनी पार्टी के नेता से एक भी सवाल नहीं पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा? पुलिस की छवि पर भी मुख्यमंत्री को स्थिति साफ करनी चाहिए।
पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उप मुख्यमंत्री बिलासपुर के मंच से कहते हैं कि एचआरटीसी को लेकर विपक्ष अपवाह फैलाता है। अगर वह साबित कर दें कि एचआरटीसी की पेंशन नहीं आई तो इस्तीफा दे देंगे, लेकिन जब उपमुख्यमंत्री यह बात कह रहे थे तब भी एचआरटीसी की पेंशन नहीं आई थी, उसके पहले महीनें भी एचआरटीसी की पेंशन समय से नहीं आई थी और आज भी 17 फरवरी होने के बाद एचआरटीसी की पेंशन नहीं आई है।
वह खुद तय करें कि उन्हें क्या करना है। लेकिन सुक्खू सरकार वर्तमान में हर मोर्चे पर फेल है, अराजकता के दौर से गुजर रही है। इस विभाग का बजट उस विभाग, इस मद का बजट उस मद में करके वेतन दे रही है। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मुख्यमंत्री को वित्तीय प्रबंधन की कोई जानकारी नहीं है।