‘प्रेमचंद घर में’ लिखी किताब: उर्दू साहित्य में रुचि रखने वाले शिवरानी के पड़ोसी 70 वर्षीय अमानउल्ला कहते हैं कि बुआ जब यहां आती थीं तो साहित्य पर जरूर चर्चा करती थीं। मुंशी जी की मृत्यु के बाद उन्होंने ‘प्रेमचंद घर में’ किताब लिखी। वह जब भी गांव आती थीं तो मुंशी जी की कोई न कोई किताब जरूर भेंट करती थीं। मुंशी जी उर्दू में भी अच्छा लिखते थे।