जन्म से ही भाग्य लेकर पैदा हुई कंगना की जन्म कुंडली में है कई शानदार राजयोग

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हिमखबर डेस्क

मंडी सीट से चुनाव लड़ रही अभिनेत्री कंगना रनौत जन्म से ही भाग्य लेकर पैदा हुई है। गूगल पर उपलब्ध उनकी जन्मतिथि के अनुसार कंगना का जन्म 23 मार्च 1987 को दोपहर 12ः45 बजे जिला मंडी में हुआ।

कंगना का जन्म मिथुन लग्न, धन राशि व वृषभ नवांश में हुआ है। मिथुन लग्न की इस कुंडली में एक से एक श्रेष्ठ योग हैं। उनका लग्नेश बुध भाग्य स्थान में बैठा है। लग्नेश भाग्य स्थान में हो तो व्यक्ति जन्मजात भाग्यवान होता हैै। बुध को ज्योतिष विज्ञान में राजकुमार की पदवी प्राप्त है।

कंगना रनौत एक साधारण परिवार में पैदा हुई। मगर लग्नेश बुध के भाग्य स्थान में होने के चलते वह बॉलीवुड की क्वीन बनी। उनका मूलांक भी 5 बनता है, जिसका आधिपत्य भी बुध के पास है, तो बुध कंगना को युवा व कुशाग्र बुद्धि तो बनाता ही है, साथ ही साहसिक निर्णय लेने की क्षमता भी देता है।

कंगना की कुंडली के 10वें भाव में मीन राशि में दिग्बली सूर्य, बृहस्पति व राहु बैठे हैं। हालांकि, यहां राहु व बृहस्पति की युति से चांडाल योग का निर्माण हो रहा था, मगर दिग्बली सूर्य ने यहां इस दोष को काफी शांत कर दिया है। राहु के दसवें भाव में होने से कंगना राजनीतिक चालें चलने में भी जहां माहिर होंगी, वहीं उनकी रूचि राजनीति में लगातार बढ़ती जाएगी।

दसवें घर के मालिक बृहस्पति की दृष्टि चौथे माता के स्थान पर भी पड़ रही है। इससे साफ पता चलता है कि जनता कंगना रनौत से लगातार जुड़ती चली जाएगी। हालांकि यहां केतु भी विराजमान है, मगर बृहस्पति व सूर्य की पूर्ण दृष्टि पड़ने से जातक धर्म स्थान, समाज व महिलाओं में काफी प्रसिद्ध होता है।

इस समय उन्हें मंगल की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा है। दो जून से उनके मंगल में सूर्य का अंतर चलेगा, जो उन्हें राजनीति में सफलता दिला सकता है। वह अप्रत्याशित परिणाम दे सकती हैं। सूर्य उनको पराक्रम स्थान का मालिक होने के चलते मेहनती भी बनाता है। वह फिल्मों की तरह राजनीति में भी जी तोड़ मेहनत करेंगी।

एकादश भाव में स्वक्षेत्री मंगल उनकी इच्छाओं को परिपूर्ण करता दिखाई दे रहा है। भाग्येश शनि छठे स्थान में बैठकर शत्रुहंता योग का निर्माण कर रहा है। साथ ही तीसरी दृष्टि से आयु के स्थान को देख रहा है। वह शत्रुओं पर हमेशा भारी पडेंगी। कंगना के शत्रु बहुत होंगे, मगर उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे।

पंचमेश शुक्र अष्टम होने के चलते उन्हें वाणी पर संयम रखना होगा। कई बार कटु व अमर्यादित वाणी के चलते उनके शत्रु अधिक पैदा होंगे। धन स्थान के मालिक चंद्रमा अपने मित्र बृहस्पति की राशि में सातवें घर में विराजमान हैं। धन की कंगना के पास कोई कमी नहीं होगी। मंगल की महादशा के चलते कंगना को देवी दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।

सूर्य, बुध व मंगल की अनुकूल स्थिति होने के कारण ही कंगना ने चार बार पदमश्री पुरस्कार जीतने में सफलता हासिल की। सूर्य के चलते उनकी ख्याति देश भर में फैली। कंगना के डी-10 चार्ट में ग्रहों की स्थिति काफी उथल-पुथल मचाने वाली है।

कंगना को अगर राजनीति में रहना है तो संयम बरतने के साथ-साथ प्रतिक्रियाओं से बचकर आगे बढ़ना चाहिए। जितनी वो विपक्षियों पर टीका-टिप्पणी कम करेंगी, उतनी ही सफल होंगी। षडबल में सूर्य ग्रह को प्रथम स्थान मिला है। वहीं, पराक्रम भाव का स्थान अव्वल है।

उधर, अष्टवर्ग में कंगना की कुंडली में दसवें घर जिसे पिता व राजदरबार में सफलता का कारक माना जाता है, कंगना को अधिकतम 34 अंक प्राप्त हुए हैं, जिससे लगता है कि कंगना राजनीति में लंबी पारी खेल सकती हैं।

कुल मिलाकर ये लोकसभा चुनाव कंगना के लिए इतना आसान नहीं है, उन्हें पग-पग पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विरोधी उनके सफर में विभिन्न प्रकार के अवरोध खड़े करेंगे। यदि वह संयमित होकर आगे बढ़ती रही व विपक्षियों पर टीका-टिप्पणी से परहेज कर अपना काम करती रही तो शायद राजनीति में लंबी पारी खेल सकती हैं।

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