जनसेवा की भावना ने बनाया IAS, पहले ही प्रयास में बने IAS अधिकारी

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धर्मशाला, राजीव जसवाल

भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बचपन से ही आम आदमी को जीवन के संघर्ष में पिसते देख दिल पसीज गया। परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करनी पड़ी |

राकेश कुमार प्रजापति ने 2004 से 2008 तक मेकेनिकल और कंप्यूटर इंजीनियर में डबल ग्रेजुएशन की। इसके बाद 2008 से 09 तक एक साल फ्रांस में बतौर जूनियर रिसर्च एसोसिएट नौकरी की। पैरिस में कंप्यूटर साइंस से संबंधित रिसर्च पेपर पब्लिश किया। 2009 से 2012 तक एनटीपीसी में सहायक प्रबंधक के पद पर नौकरी की। नौकरी करते ही 2012 मे उनके अंदर जन सेवा की भावना जागी तथा हिमाचल काडर के प्रतिभावान प्रशासनिक अधिकारी बने |

आईएएस राकेश कुमार प्रजापति मात्र 25 वर्ष की आयु में पहले ही प्रयास के दौरान 2012 में आईएएस बन गए। उत्तर प्रदेश के साधारण परिवार से निकले राकेश अपनी सफलता के पीछे अपनी मां का हाथ बताते हैं।

नूरपुर में सहायक आयुक्त विकास के पद पर कार्य कर रहे राकेश कुमार प्रजापति प्रोवेशनल कार्यकाल के दौरान धर्मशाला में बेहतर प्रबंधन को लेकर भी सुर्खियों में रहे। नूरपुर में भी उन्होंने बजट न मिलने के बावजूद कुशल प्रबंधन के जरिये मात्र एक महीने में सरकारी भवन का निर्माण कार्य पूरा करवाकर ठेकेदारों से लेकर अधिकारियों और नेताओं को हैरत में डाल दिया।

वर्तमान में राकेश प्रजापति ने प्रदेश के सबसे बड़ा जिला कांगड़ा के जिलाधीश के पद पर हैं | राकेश प्रजापति के कुशल प्रवंधन, दूरगामी सोच और मानव संवेदनाओं से परिपूर्ण दयावान निर्मल ह्रदय के कारण ही प्रदेश और कांगड़ा की जनता मे उनकी दीवानगी इस कदर है कि कार्यकाल पूरा होने पर भी जिला की जनता इनको भेजना नहीं चाहती |

कार्यकाल की बात करें तो चाहे नशा तस्करी हो या भू खनन माफिया पर नकेल कसने की बात हो या प्रदेश के हर वर्ग के समाज की मुख्य धारा से भटके हुए लोगों की ‘लौट के घर वापसी’ की बात हो, चाहे सामाजिक सुरक्षा पेंशन मे लगने वाली वर्षों लम्बी waiting लिस्ट को कुछ महीनों मे निवटाने की बात हो या फिर दूसरे जन विकास कार्यों मे तत्परता की बात हो राकेश प्रजापति की सोच और प्रबन्धन सर्वोपरी रहा है |

हाल ही मे कांगड़ा मे एक मां की संक्रमण दौरान मृत्यु हो जाने पर,समाज का सहयोग न मिलने पर बेटे को मां का शव कंधे पर ले जाने की सूचना मिलने से इतने व्यथित हुए कि ऐलान कर दिया कि “क्षेत्र मे संक्रमण से मौत होने पर दाह संसकार का जिम्मा वे खुद संभालेंगे समाज साथ आना चाहे तो आ सकता है” यह आपकी दूरगामी उच्च कोटी के प्रबंधन को ही दर्शाता है |

हम दूसरों के लिए तभी उदहारण बन सकते हैं, जब स्वयं उस पर खरा उतरे हों”- उपायुक्त राकेश प्रजापति

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