जज्बा हो तो ऐसा: मुंह से लिखकर पास किया NEET, पर रजत नहीं बन पाए MBBS डॉक्टर, अब कर रहे ये काम

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हिमखबर डेस्क

8 वर्ष की उम्र में बिजली का करंट लगने से रजत ने अपने दोनों हाथ खो दिए। तीसरी कक्षा में पढ़ रहे रजत ने इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी हार नहीं मानी। रजत ने पढ़ाई जारी रखी और लिखने के लिए अपने पैरों का सहारा लिया।

बाद में मुंह से भी लिखे। रजत के बुलंद हौसलों को अब पंख मिले और 2019 में NEET पास कर लिया हालांकि, कुछ कारणों से वह MBBS की पढ़ाई नहीं कर पाए।

रजत ने बताया कि वह महज 8 वर्ष के थे, जब हादसे में उन्होंने अपने हाथ खो दिए। वह उस समय तीसरी कक्षा में पढ़ रहे थे और उनकी एक शरारत ने उम्र भर के लिए उनसे उनके हाथ छीन लिए।

छोटी उम्र में इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद रजत एक जिंदादिल और खुशमिजाज व्यक्ति हैं। रजत की मुस्कुराहट देख कर आपको आभास नहीं होगा कि उन्होंने जीवन में बहुत कुछ खोया है।

NEET पास किया लेकिन नहीं बने डॉक्टर

रजत ने 2019 में NEET पास किया लेकिन, रजत MBBS की पढ़ाई नहीं कर पाए। रजत 99 प्रतिशत डिसेबल है और उन्हें एडमिशन के वक्त यह कह कर रोक दिया गया कि एमबीबीएस की प्रैक्टिकल पढ़ाई के लिए उन्हें हाथों की आवश्यकता पड़ेगी।

इस मामले को लेकर वह कोर्ट भी गए, लेकिन आखिर में उन्होंने MBBS छोड़ आर्ट्स की पढ़ाई करने का निर्णय लिया और मौजूदा समय में वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में एमए कर रहे हैं।

पहले पैरों से, अब मुंह से लिखते हैं

रजत ने जब अपने हाथ खोए तो उसके बाद उन्होंने अपने पैरों से लिखना सीखा। रजत पेंटिंग बनाते थे और पैरों से ही लिखा करते थे। एक बार जब उन्होंने मुंह से लिखने का प्रयास किया तो उन्हें आभास हुआ कि मुंह से पेन की ग्रिप अच्छी बनती है।इसके बाद उन्होंने मुंह से लिखना शुरू किया।

रजत की लिखावट बहुत सुंदर है। कुछ लोग ऐसी लिखावट हाथों से भी नहीं कर पाते हैं। रजत ने अपने बोर्ड सहित सभी एग्जाम खुद लिखे हैं। उन्होंने किसी भी हेल्पर की सहायता नहीं ली हालांकि, पेपर में लिखने के लिए उन्हें थोड़ा अधिक समय दिया जाता था।

जानकारी के अनुसार, मंडी जिला के उपमंडल सुंदरनगर में डूगराई पंचायत के रड़ू गांव के जयराम के पुत्र रजत के साथ बचपन में एक हादसा हुआ। करंट लगने से दोनों बाजू चले गए।

बचपन से पढ़ाई का शौक रखने वाले रजत ने हादसे के बाद मुंह से लिखना शुरू कर दिया। उसने इसी जज्बे से पहले मैट्रिक और फिर मेडिकल में जमा दो की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की। इसके बाद उसने ऑल इंडिया स्तर का नीट की परीक्षा पास की।

इसे पास करने के बाद उसे मंडी के नेरचौक मेडिकल कालेज में सीट मिली। परिवार इस बात को लेकर खुश था कि उनका दिव्यांग बेटा डॉक्टर बनेगा, मगर उनके सपने तब टूट गए, जब नेरचौक मेडिकल कालेज ने दिव्यांग रजत को इंटरव्यू के बाद मेडिकल में फिजिकल अनफिट का हवाला देकर रिजेक्ट कर दिया।

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