जंगल के बीचों-बीच गूंजी किलकारियां, आशा वर्कर बोली-बधाई हो बेटा हुआ है

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हमीरपुर- व्यूरो- रिपोर्ट

बधाई हो बेटा हुआ है। ये शब्द सुनते ही परिवार में खुशी की एक लहर दौड़ जाती है। यह शब्द अक्सर अस्पताल में सुनने को मिलते हैं। परंतु आशा वर्कर सुषमा को यह शब्द जंगल के बीचों बीच बोलने पड़े। हुआ यूं कि हमीरपुर के बड़सर के पिलियार के सुगल निवासी संतोष कुमार की पत्नी को नेहा प्रसव पीड़ा शुरू हुई।

उन्होंने तुरंत ही बड़सर अस्पताल में डॉक्टर राकेश से बात कि और वे नेहा को लेकर हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गए। इस बीच उन्होंने नेहा कि प्रसव पीड़ा की सूचना आशा वर्कर सुषमा को भी दे दी और वो उनके साथ हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गई। बदकिस्मती ये थी कि मेन सड़क घर से करीब दो किलोमीटर दूर थी।

रास्ता कच्चा टूटा फूटा था, तो ऐसे में चार कंधों पर चारपाई प्रसुता के लिए एंबुलेंस हो गई। आधे रास्ते पहुंचते पहुंचते प्रसव पीड़ा चरम पर थी, फिर क्या था आशा वर्कर सुषमा देवी इनके लिए डॉक्टर रूपी मसीहा हो गई। जंगल लेबर रूम बन गया और धरती मां की गोद डिलिवरी टेबल।

प्रसुता ने घने जंगल में बेटे को जन्म दिया, किलकारियां गूंज उठी, लेकिन जहां इस बच्चे नई दुनिया देखी, वहीं इसने दुनिया को भी असलियत दिखा दी कि आजादी के दशकों बाद भी जहां सड़क नहीं है। प्रसुता को एंबुलेंस की जगह चारपाई पर लाद कर ले जाना पड़ रहा है। डिलिवरी लेबर रूम की बजाए जंगल में हो रही है।

वहां भला क्या होगा, क्या यही विकास के डबल इंजन से हुए विकास की तस्वीर हैं। सवाल तो कई लेकिन जनता जवाब देना जानती है। फिलहाल मां और बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से बच्चे को कोई समस्या होने के कारण उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया है।

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