चोलथरा मंदिर से मूर्तियां उखाड़ने का विरोध, ग्रामीणों ने ज़िला पार्षद पर मनमानी करने का लगाया आरोप
चोलथरा – अजय सूर्या
धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत चोलथरा के दीघो गांव के शिव मंदिर में स्थापित मूर्तियों को उखाड़ कर बाहर खुले में रखने का गांववासियों ने विरोध किया है।
गौरतलब है कि ये प्राचीन मन्दिर सत्तर के दशक में स्थानीय निवासी स्वर्गीय गरदावर सोहन सिंह ने बनवाया था औऱ इस मंदिर परिसर विकसित करने में बाद में काम किया गया है और यहां पर कई धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं। लेक़िन कुछ समय से इस मंदिर का इस्तेमाल राजनैतिक तौर पर भाजपा से जुड़ी और पूर्व मंत्री की बेटी व ज़िला परिषद सदस्य द्धारा अपने हिसाब से किया जा रहा है।
कई बार यहां पर गैर भाजपा से जुड़े लोगों को यहां पर कार्यक्रम करने से रोका गया है चुनावों से पूर्व जब वर्तमान विधायक चन्द्रशेखर ने ज्वाला देवी की ज्योति को लेकर सभी मंदिरों में यात्रा की थी तब भी इस मंदिर में ताला जड़ दिया गया था।
इस मंदिर परिसर में आमतौर पर भाजपा की ही मीटिंगे होती रही हैं।गांववासी व वार्ड पंच बलदेव सिंह राणा, इंद्र सिंह परदेशी, अंनत राम ठाकुर, भूरी सिंह, रूपलाल बनेर, रूपलाल ठाकुर, प्रकाश चन्द, अविनाश, मंजुला, मंथरा देवी, शंकुतला, बिमला, रीता देवी, शीतला देवी, मीरां देवी, सरस्वती, सुमन, बिमला देवी इत्यादि ने बताया कि यहां पर जो मूर्तियां स्थापित की गई थी उन्हें तीन महीने पहले शिवरात्रि से पहले उखाड़ दिया है और उन्हें बाहर खुले में रखा गया है जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
वार्ड पंच बलदेव सिंह राणा ने आरोप लगाया है कि इस मंदिर कमेटी में ज़िला पार्षद बंदना गुलेरिया ने अपने चेहतों को पार्टी के आधार पर पदाधिकारी और सदस्य बनाया है और वे सब अपनी मनमर्ज़ी से इस प्राचीन मंदिर का संचालन करते हैं और राजनीति करते हैं।
उन्होंने मांग की है कि उखाड़ी गयी मुर्तियों को जल्दी से जल्दी स्थापित किया जाये और मंदिर कमेटी के चुनाव करवाये जाएं जिसमें पार्टी के बजाये धार्मिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाए ताकि इस मंदिर का दुरुपयोग किसी की राजनीति चमकाने के लिए बन्द हो सके।
लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर उखाड़ी गयी मूर्तियां जल्दी स्थापित नहीं की गई तो वे इसकी शिकायत एस डी एम के पास दर्ज करेंगे।
उधर पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने भी स्थानीय लोगों की मांग का समर्थन किया है और मंदिर कमेटी से जल्दी मूर्तियां स्थापित करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि धर्मपुर में पिछले 35 वर्षों से क़ायम हुए परिवारराज में पूर्व मंत्री और उनकी बेटी और बेटे ने हर कहीं मंदिरों को भी राजनीति का अड्डा बना दिया था जिसके ख़िलाफ़ अब सत्ता परिवर्तन के बाद लोग विरोध कर रहे हैं।
पिछले दिनों जालपा माता स्क्रेणी, बाबा कमलहिया, नीलकंठ महादेव काढापतन की कमेटियों में भी राजनैतिक आधार पर भर्ती के मुद्दे भी उठ चुके हैं और अब पूर्व मंत्री की बेटी और ज़िला पार्षद के ख़िलाफ़ उसी गांव के वाशिंदों ने झंडा बुलंद कर दिया है।
यही नहीं चोलथरा पँचायत के कोठी गांव में भी जो मुंडखर देवी और काली माता का मंदिर है उसमें भी इनका अनावयशक हस्तक्षेप रहता था और वहां पर भी वे अपनी राजनीति चमकाने के लिए इसका प्रयोग करते रहे हैं। इसलिये प्रशासन और सरकार को इन धार्मिक स्थलों में हो रही राजनीति को रोकने के लिए शिक्षण संस्थानों की तर्ज़ पर क़ानून बनाने चाहिए।