सिरमौर – नरेश कुमार राधे
हिमाचल प्रदेश में 12 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार चोटी पर कुछ अद्भुत होने वाला है। शिमला, सोलन, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार-बाबर क्षेत्र का सबसे भव्य धार्मिक आयोजन शांत महायज्ञ की तारीख नजदीक आ चुकी है।
जैसे-जैसे तारीख समीप आ रही है प्रशासन की चिंता भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि चोटी पर उमड़ने वाले जनसैलाब की कल्पना तक कर पाना कठिन हो रहा है।
वैसे तो राज्य की प्राचीन धार्मिक स्थली शिमला-सिरमौर जिला की सीमा पर है, लेकिन यहां की व्यवस्था की जिम्मेदारी शिमला प्रशासन के हाथ में रहती है।
भगवान शिव के अवतार आराध्य देव शिरगुल जी महाराज चोटी पर प्राचीन मंदिर है। चूड़धार मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य पिछले 20-22 वर्षों से चल रहा था, जो अब पूरा हो चुका है।
मंदिर की लकड़ी की अद्भुत नक्काशी हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा की गई है। ये धार्मिक स्थल के भव्य रूप में चार चांद लगा रही है। हरेक क्षेत्र से शिरगुल देवता की बारह पालकियां शोभायात्रा में शामिल होगी। शायद, ऐसा भी यहां पहली मर्तबा हो रहा है।
इस महायज्ञ का संचालन ‘खूंद’ समुदाय के हाथों सौंपा गया है, जो खश जाति की एक वीर शाखा है। यह महायज्ञ धार्मिक आस्था और परंपराओं के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति का भी प्रतीक है, जिसे सफल बनाने के लिए हजारों श्रद्धालु और सेवक मिलकर कार्य कर रहे हैं।
समूचे अनुष्ठान के आयोजन में चूड़ेश्वर सेवा समिति भी चौपाल प्रशासन के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रही है। हालांकि तर्क यह दिया जा रहा है कि 11 अक्तूबर को होने वाला शांत महायज्ञ को 52 वर्षों बाद आयोजित किया जा रहा है। लेकिन एक दलील यह भी है कि भव्य मंदिर का निर्माण पहली बार हुआ है।
लिहाजा 11 अक्टूबर का दिन हजारों बरस पुरानी चोटी के इतिहास में अनूठा है। महायज्ञ का प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान 11 बजे से एक बजे के बीच कुरुड़ स्थापित करने से शुरू होगा।
आपको बता दे कि कुरुड़ एक तरह से मंदिर मुकुट होता है। मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। विशेष तौर पर पांच क्विंटल फूल मंगाए गए हैं।
धार्मिक महत्ता के चलते करीब 30,000 से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। मौसम अनुकूल रहने की सूरत में आंकड़ा 30,000 के पार भी पहुंच सकता है।
शिमला के चौपाल व सिरमौर के संगड़ाह उपमंडलों में चोटी पर व्यवस्था बनाने के लिए करीब 100 से 150 पुलिस जवानों की तैनाती होगी इसके अलावा चूड़ेश्वर सेवा समिति के वालंटियर्स अलग से होंगे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर वध के बाद देवी महाशक्ति का विकराल रूप शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके मार्ग में लेट गए थे। देवी का एक पैर अनजाने में शिव की छाती पर पड़ गया, जिससे वह शांत हो गईं।
इसी घटना की स्मृति में शांत महायज्ञ का आयोजन किया जाता है, जो भुंडा उत्सव की तरह होता है। शांत महायज्ञ के आयोजन को लेकर चौपाल, कुपवी, नेरवा और हामल की पंचायतों के लोग सक्रिय हैं।
ठहरने की व्यवस्था के लिए तहसीलदार चौपाल रेखा शर्मा और खंड विकास अधिकारी विनीत ठाकुर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, उन्हें प्रताप नेगी, दिनेश भंडारी, नंदराम इक और राजेंद्र झरटा का सहयोग मिलेगा।
एसडीएम चौपाल हेमचंद वर्मा के बोल
चूड़धार मंदिर कमेटी के अध्यक्ष एवं एसडीएम चौपाल हेमचंद वर्मा ने महायज्ञ की सफलता के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया है। इसके लिए 16 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। आयोजन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है।
तहसीलदार रेखा शर्मा के बोल
तहसीलदार रेखा शर्मा ने बताया कि मंगलवार शाम तक तमाम तैयारियों को पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि 10 अक्टूबर को करीब 5 हजार लोग पहुंचने का अनुमान है जबकि 11 अक्टूबर को यह संख्या 20 से 30 हजार का आंकड़ा पार कर सकता है।