नेरचौक मेडिकल कॉलेज में उपचार करवाने पहुंचे युवाओं का मनोचिकित्सक दवाओं और काउंसलिंग के जरिये मार्गदर्शन कर रहे हैं। शिक्षा के हब के रूप में उभरी में बल्हघाटी में चिट्टा पांव पसार रहा है।
मंडी – अजय सूर्या
श्री लाल बहादुर मेडिकल कॉलेज नेरचौक में हर माह औसतन 100 युवा नशे की लत छुड़ाने के लिए पहुंच रहे हैं। बीते 10 महीने में एक हजार से अधिक युवा चिट्टा और नशे की लत छुड़वाने के लिए पहुंचे। चिट्टा और दूसरे नशे की लत लगने के बाद अभिभावक और खुद युवा अपना उपचार करवाने के लिए पहुंचे हैं।
नेरचौक मेडिकल कॉलेज में उपचार करवाने पहुंचे युवाओं का मनोचिकित्सक दवाओं और काउंसलिंग के जरिये मार्गदर्शन कर रहे हैं। शिक्षा के हब के रूप में उभरी में बल्हघाटी में चिट्टा पांव पसार रहा है। जिले की एक यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत एक युवक की भी हाल ही में चिट्टे की ओवरडोज से मौत हो चुकी है।
प्राचार्य डॉ. डीके वर्मा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में चिट्टा और नशे में डूबे युवा रोजाना पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चों के व्यवहार नजर रखें, यदि कोई चिट्टा या नशे का आदी है तो उसका उपचार करवाएं।
नशे की लत लगाकर बनाए जाते हैं तस्कर
नशा माफिया नए युवाओं को शुरूआत में फ्री में नशे की लत लगाते हैं और फिर उनके जरिये ही पंजाब और अन्य जगहों से नशे की खेप मंगवाते हैं। इसके एवज में उन्हें डोज दिए जाते हैं। इस तरह खुद किंगपिन पुलिस की नजर से दूर रहते हैं। युवतियां भी इस तरह की तस्करी में शामिल हैं। चिट्टा के पांव पसारने पर अब जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवियों ने भी मोर्चा खोल दिया है। जनप्रतिनिधि अपने स्तर पर ही चिट्टा तस्करों को पकड़ रहे हैं।
आपा खोकर हिंसक बन रहे है नशे के आदी युवा
विशेषज्ञों की मानें तो चिट्टा या अन्य नशे में डूबा व्यक्ति जब नशे की ज्यादा लत में पड़ जाता है तो वह आम व्यक्ति की तरह साधारण बात नहीं करता है। जल्दी ही अपना आपा खो देता है और नशा न मिलने पर हिंसक हो जाता है। जब नशा न मिले तो वह एक जगह टिककर भी नहीं बैठ सकता है। उसकी गतिविधियां तेजी से बदलती रहती हैं या किसी एक विषय को पकड़ लेते हैं और इस पर ही चल पड़ते हैं। किसी एक ही मुद्दे पर विवाद करेंगे।
ऐसे किया जा सकता है सुधार
विशेषज्ञों की मानें तो नशे में डूबे व्यक्ति को अपनेपन से ही सुधारा जा सकता है। परिजन इसमें विशेष भूमिका निभा सकते हैं। परिजनों को इनको कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करना चाहिए। दोस्तों के साथ इन्हें बाहर न भेजें। उनके साथ बैठकर कार्य की प्लानिंग करें। किसी भी कार्य में व्यस्त रखें और मनोबल हमेशा बनाए रखें। इन्हें आम आदमी की तरह नहीं बल्कि मरीज की तरह ट्रीट किया जाए।
केस स्टडी : परिजनों ने दिया साथ, छूटी नशे की लत
चिट्टे की लत में डूबे बल्ह घाटी के एक युवक ने बताया कि इससे बाहर निकलना बिल्कुल आसान नहीं था। वह न चाहते हुए भी दलदल में फंसता चला गया और इससे बाहर जब निकलना चाहा तो वह उसे नामुमकिन दिखा। इसने अपनी आपबीती अपनी हालत का जिक्र अपने माता-पिता के साथ किया।
नशा निवारण केंद्र में नौ महीने रहकर नशे से दूर हुआ। इस दौर में परिजन उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे। सभी के सहयोग से ही उन्हें प्रेरणा मिली। हालांकि आज भी समाज में कुछ लोग उन्हें हीन भावन से देखते हैं। जबकि वह नशे की गर्त से बाहर आ चुके हैं।