बकलोह – भूषण गुरुंग
आज पूरे भारत वर्ष में राखी का त्यौहार बहुत ही हर्सोउल्लास के साथ मनाया गया। वही बकलोह के गोर्खाली समाज के लोगो के द्वारा इस त्यौहार को बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। सुबह सबसे पहले घर का मुखिया अपने पूरे देवी देवताओ के साथ अपने कुल की देवी को राखी चढ़ा कर और घरो में बने हुए मिष्ठान का भोग सभी देवताओं को लगाने के बाद इस पर्व को शुरू किया जाता है।
बहने अपने भाई लोगो को देश या विदेश में जहाँ पर हो इस त्यौहार के मनाने के लिए अपने भाइयों के घरों में एक दिन पहले ही पहुच जाती है। बहने भाइयों के माथे मे लाल रंग का तिलक लगा कर कच्चे धागे की डोरी औऱ राखी उनके हाथों मे बांध कर उनकी आरती उतारने के बाद गले लगा कर उनकी दीर्घ आयु की कामना करते है।
वही भाई लोग इसके एवेज मे अपने बहनों को पैसे और वस्त्र और अमीर लोग सोने की बनी हुई चीजे देते है। वही बहने अपने भाई लोगो के लिए घरो मे बनी हुई पकवान जैसे सेल रोटी माबे वाले खीर, घर मे बनाये हुय खोए वाले छोटे छोटे रश भरी, गुजिया ,रवडी औऱ स्पेशल आलू की चटनी के साथ छोले पुरिया के साथ अनेक प्रकार की व्यंजन परोसा जाता है। भाई लोग इसे बहुत ही चाव के साथ खाते है।
वही बजुर्ग महिलायें भी अपनी भाइयो की कलाईयो में राखी बांधते है और रात भर खाने पीने के बाद नाच गाने के बाद खूब एन्जॉय करते है। सभी बहने अगले दिन अपने अपने घरों मे लौट जाती है।