सैंज घाटी की गाड़ापारली पंचायत के अति दुर्गम गांव मरौड़ के लोगों का जीवन अभी दुश्वारियों भरा है। सड़क और बिजली के अभाव से यहां दूरसंचार की सेवा भी नहीं है।
कुल्लू – अजय सूर्या
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की सैंज घाटी की गाड़ापारली पंचायत के अति दुर्गम गांव मरौड़ के लोगों का जीवन अभी दुश्वारियों भरा है।
सड़क और बिजली के अभाव से यहां दूरसंचार की सेवा भी नहीं है। ऐसे में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ताजा मामला बुधवार को मरौड़ गांव में सामने आया, जहां एक व्यक्ति को उपचार के लिए घोड़े में लाया गया।
56 वर्षीय सेसराम को सांस लेने और जोड़ों का दर्द होने से उन्हें निहारनी तक करीब 20 किलोमीटर घोड़े पर और फिर निहारनी से गाड़ी से सैंज अस्पताल लाया गया, जहां उसका उपचार चल रहा है।
बेटे राजवीर ठाकुर ने कहा कि बुधवार को उनके पिता को अचानक सांस लेने में दिक्कत हुई। वहीं, उन्हें जोड़ों का भी दर्द है।
इस कारण उन्हें उपचार के लिए घोड़े पर लाना पड़ा है। कहा कि निहारनी से उन्हें गाड़ी के जरिये सैंज अस्पताल लाया गया है और यहां उनका उपचार चल रहा है।
मरौड़ गांववासी हीरा चंद, डोले राम, जीत राम, प्रकाश चंद, बालक राम, शेर सिंह, उपप्रधान भाग चंद और वार्ड पंच निर्मला देवी का कहना है कि उनका गांव मरौड़ जिला कुल्लू का अति दुर्गम है।
आजादी के 75 साल बाद भी उनका गांव सड़क और बिजली से महरूम है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के तहत आने वाले इस गांव के लोग रोज सड़क से लगभग 20 किलोमीटर का पैदल सफर करते हैं।
रोजमर्रा के सामान को पीठ पर या फिर घोड़े खच्चरों से पहुंचाने को मजबूर हैं। उन्होंने वर्तमान प्रदेश सरकार से गांव के लिए बिजली और सड़क की सुविधा को प्रदान करने की बात कही है।
अधिशासी अभियंता चमन ठाकुर के बोल
उधर, लोक निर्माण के अधिशासी अभियंता चमन ठाकुर ने कहा कि मरौड़ गांव के लिए विभाग ने सड़क का सर्वे कर दिया है। अब ग्रामीणों को इसे लेकर गिफ्ट डीड देनी है, इसके बाद अगली प्रक्रिया शुरू की जाएगी।