गिरिपार की प्रियंका ने छोटी बहन को भी करवाई तैयारी, एक साथ उत्तीर्ण कर ली नेट परीक्षा।
सिरमौर – नरेश कुमार राधे
हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र की सगी बहनों ने यूजीसी की नेट (UGC-NET) परीक्षा में एक दुर्लभ इबारत लिखी है।
शावगा पंचायत के जुईनल गांव की प्रियंका छोटी बहन प्रवीणा से तीन साल पहले स्नातक की पढ़ाई पांवटा साहिब डिग्री काॅलेज से पूरी करती है।
इसके बाद पत्राचार के माध्यम से हिन्दी विषय में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करती है।
प्रियंका यूजीसी नेट की परीक्षा की तैयारी में जुट जाती है। इसी दौरान छोटी बहन प्रवीणा भी ग्रैजुएशन पूरी कर लेती है।
बड़ी बहन के मार्गदर्शन पर प्रवीणा भी पत्राचार से हिन्दी विषय में एमए कर लेती है। हर कदम पर प्रियंका पढ़ाई की सामग्री को छोटी बहन को उपलब्ध करवाती रही।
13 अप्रैल की शाम यूजीसी की नेट परीक्षा का परिणाम जारी होता है। कठिन परिश्रम परिणाम देता है। प्रियंका व प्रवीणा को एक साथ सफलता मिल जाती है।
हालांकि, प्रियंका को तीन कोशिशों में सफलता मिली, लेकिन प्रवीणा ने दूसरे प्रयास में इस कारण सफलता को अर्जित कर लिया, क्योंकि बड़ी बहन को परीक्षा से जुड़ी जानकारी थी।
अहम बात ये भी है कि परीक्षा की तैयारी के लिए मिलकर ही ऑनलाइन सामग्री जुटाती रही। एक साथ पढ़ाई करना दिनचर्या में शामिल था।
दिलचस्प ये है कि पर्सेंटाइल में भी खास अंतर नहीं है। प्रियंका को 99.18 पर्सेंटाइल हासिल हुआ है। जबकि प्रवीणा को 98.17 पर्सेंटाइल प्राप्त हुआ है।
जानकारी के मुताबिक यूजीसी की हिन्दी विषय की नेट परीक्षा में देश भर से 63,774 ने आवेदन किया था। इसमें से 41,590 ने परीक्षा में हिस्सा लिया।
जुईनल गांव में बहादुर सिंह व बिमला देवी के घर में जन्मी बहनों का राष्ट्रभाषा हिन्दी से गहरा लगाव है। प्रवीणा ने बड़ी बहन के पदचिन्हों पर ही चलने का निर्णय लिया। इसकी बदौलत पहली बड़ी सफलता अर्जित की है।
बहनों ने ये भी ठाना है कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली काॅलेज कैडर में सहायक प्रोफैसर की प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी एक साथ मिलकर ही करेंगी।
बातचीत में प्रवीणा कुमारी ने कहा कि हालांकि 8 बहन-भाई हैं, लेकिन पिता ने आर्थिक दिक्कत सामने नहीं आने दी।
प्रवीणा का कहना था कि बड़ी बहन ने तैयारी का अनुभव हर कदम पर साझा किया। उल्लेखनीय है कि प्रियंका व प्रवीणा के पिता बहादुर सिंह कांडों में दुकान चलाते हैं।
कुल मिलाकर इस सफलता की सकारात्मक बात ये है कि बड़े अगर छोटों से तजुर्बे को साझा करें तो छोटों कोे जल्द सफलता अर्जित हो सकती है।
निश्चित तौर पर बहनों ने ‘बेटी है अनमोल’ कहावत को रियल लाइफ में चरितार्थ कर दिखाया है।