हिमखबर डेस्क
गगल हवाई अड्डा विस्तार से प्रभावित होने वाले सैकड़ों दुकानदार अपनी रोजी-रोटी और कारोबार के उजड़ने के डर से चिंतित हैं। कारोबारियों का कहना है कि विस्तारीकरण से पहले सरकार गगल जैसा विकसित बाजार तैयार करवाए।
उन्होंने बताया कि वे पिछले काफी सालों से परेशानी में चल रहे हैं कि विस्थापित होने के बाद उनका पुनर्वास कैसे होगा। उनके पुन रोजगार के साधन क्या होंगे और परिवार चलाने के लिए क्या उनका व्यापार नई जगह स्थापित होगा।
व्यापारियों ने कहा कि शायद ही उन्हें दोबारा ऐसी जगह मिले जहां बिजनेस हब है और जहां से 700 करोड़ का वार्षिक टर्नओवर है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले 70 वर्षों से जिनका पूरा जीवन गगल में व्यवसाय करते बीत गया है उनके घर पंचायत की जमीन पर बने हैं। उनके नाम आज तक जमीन नहीं है। उनके लिए सरकार ने क्या प्रावधान किया है, यह सब बातें विस्थापन से पूर्व स्पष्ट की जानी चाहिए।
क्या कहते हैं दुकानदार- लक्की, दुकानदार के बोल
पिछले कई वर्षों से रह रहे किरायेदारों के लिए सरकार क्या प्रावधान करेगी। व्यापार के बदले व्यापार हमारी सर्वप्रथम मांग है। हमें दुकान के बदले दुकान और गगल जैसा विकसित बाजार दिया जाए। हर दुकानदार के लिए दुकान का प्रावधान किया जाए।
दुकानदार मनजीत सिंह के बोल
अगर सरकार एयरपोर्ट बनना चाहती है तो सबसे पहले उन परिवारों के बच्चों को रोजगार में प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो प्रभावित हो रहे हैं। आने वाली युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा। भविष्य में प्रभावित होने वाले परिवारों की इस प्रोजेक्ट में क्या भागीदारी होगी, यह स्पष्ट होना चाहिए।
प्रधान व्यापार मंडल गगल देवेंद्र कोहली के बोल
एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के चलते हुए आए दिन नई-नई खबरों से यहां रहने वाले और विशेष तौर से व्यापारी मानसिक रूप से परेशान हैं। एक तरफ सरकार अपना जिद्दी रवैया रखते हुए प्रदेश की तंगहाल आर्थिक स्थिति होने के बावजूद कांगड़ा एयरपोर्ट के भूमि अधिग्रहण पर लगभग 3,200 करोड़ खर्च करने जा रही है। परंतु ये भी किसी से छुपा नहीं है कि सरकार के पास कर्मचारी को देने के लिए पैसे नहीं हैं। कर्मचारियों के भत्ते पिछले दो साल से लंबित हैं, जिसके लिए आय दिन प्रदर्शन भी हो रहे हैं। ऐसे में क्या सरकार को वेतन देने से ज्यादा महत्वपूर्ण एयरपोर्ट विस्तार कैसे लग सकता है।