क्या कंप्यूटर मोबाइल पर बिताते हैं ज्यादा समय? इन टिप्स को करें फॉलो आंखें रहेंगी एकदम टनाटन

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शिमला – नितिश पठानियां

हर साल 1 से 7 अप्रैल तक Blindness Week मनाया जाता है. इस सप्ताह का उद्देश्य लोगों को दृष्टिहीनता के बारे में जागरुक करना है, भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन इस सप्ताह को मनाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं.

आंखें हमारे शरीर का एक अनमोल उपहार हैं, जो हमें दुनिया को देखने और समझने का मौका देती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंखों की रोशनी को बचाना कितना महत्वपूर्ण है? Prevention of Blindness Week (अंधत्व निवारण सप्ताह) के अवसर पर हम आंखों की देखभाल और उनकी सुरक्षा के बारे में जानेंगे. हमारे खान-पान और लाइफस्टाइल का हमारी आंखों की रोशनी पर खासा असर पड़ता है.

आंखें हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन कई बार हम आंखों की देखभाल करने में लापरवाही बरतते हैं, जिससे आंखों की समस्याएं हो सकती हैं. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि आंखों का ध्यान कैसे रखें, जिससे आंखों की रोशनी पर असर न पड़े.

ये हैं आंखों में होने वाली आम समस्याएं

Prevention of Blindness Week के अवसर पर शिमला में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वंदना गोयल से बात की और उनसे जाना कि आंखों का ध्यान कैसे रखें, लेकिन इससे पहले हम जानते हैं कि आंखों में होने वाली आम समस्याएं कौन कौन सी हैं.

  • मोतियाबिंद

मोतियाबिंद एक आम समस्या है, जिसमें आंखों के लेंस में धुंधलापन आ जाता है. ये धुंधलापन आंखों की दृष्टि को प्रभावित करता है और इसके कारण लोगों को देखने में परेशानी होती है. मोतियाबिंद आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है, लेकिन ये किसी भी उम्र में हो सकता है.

  • ग्लूकोमा

ग्लूकोमा एक गंभीर समस्या है, जिसमें आंखों के दबाव में वृद्धि होती है. ग्लूकोमा के कारण आंखें लाल रहती है. आंखों में दर्द रहती है. इसे काला मोतिया भी कहते हैं.

  • मधुमेह संबंधी नेत्र रोग

मधुमेह संबंधी नेत्र रोग एक आम समस्या है, जिसमें आंखों की रक्त वाहिकाओं में समस्याएं होती हैं.

स्क्रीन पर काम करते समय आई ब्लिंक रेट हो जाता है कम

डॉक्टर वंदना गुलेरिया ने कहा कि,’मोबाइल, कंप्यूटर के युग में हमारा स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. पहले के जमाने में लोग दूर देखते थे. अब हमारा देखने का दायरा एक मीटर तक सिमट गया है. हमें स्क्रीन टाइम कम करना चाहिए. कंप्यूटर के सामने एक हाथ की दूरी पर बैठना चाहिए. 10 से 15 मिनट बाद 20 फीट की दूरी पर देखना चाहिए. इसके बाद फिर से कंप्यूटर स्क्रीन पर देखना चाहिए.

स्क्रीन पर देखते समय हमें बार बार आंखों की पलकों को झपकना चाहिए. सामान्य तौर पर हमारी आंखें एक मिनट में 15 से 20 बार झपकती हैं. लगातार स्क्रीन पर देखते रहने से हमारी आंखों का ब्लिक रेंट कम हो जाता है. इससे आंखों में सूखेपन की समस्या हो जाती हैं. इससे बचने के लिए जरूरी है कि बीच बीच में आंखों को ब्लिंक करना चाहिए, पानी ज्यादा पीना चाहिए और पौष्टिक आहार लेना चाहिए.’

स्क्रीन पर काम करते समय करें 20-20 रूल फॉलो

डॉक्टर वंदना गुलेरिया ने कहा कि, ‘हमारी आंखें स्क्रीन के लिए बनी हैं, लेकिन आज की जरूरत के मुताबिक लोगों को सात आठ घंटे स्क्रीन पर काम करना पड़ता है, लेकिन हम गेमिंग और मोबाइल का टाइम कम कर सकते हैं. इसके अलावा हम 20-20 रूल फॉलो कर सकते हैं. 20 मिनट स्क्रीन पर काम करने के बाद हमें दूर तक देखना चाहिए या स्क्रीन के सामने से कुछ मिनट के लिए हट जाना चाहिए. छह सात घंटों से ज्यादा कंप्यूटर पर काम नहीं करना चाहिए.’

माता-पाता को डॉक्टर की सलाह

डॉक्टर वंदना गुलेरिया ने कहा कि,’माता पिता आजकल छोटे बच्चों को खाना खिलाते समय या खुद काम करते समय उनके हाथों में मोबाइल थमा देते हैं, ये बच्चों को चश्मा लगने का प्रमुख कारण बन रहा है. हमें इससे बचना चाहिए. दूसरा तीन साल के बाद छह महीने में एक बार बच्चों की आंखों की जांच करवानी चाहिए.

सरकारी स्कूलों में ये सुविधा अनिवार्य रूप से मिलती है, लेकिन निजी स्कूलों में कई बार ये सुविधा नहीं मिलती है. इसके कारण बच्चा हमारे पर कई बार लेट पहुंचता है. कई बार देखा जाता है कि बच्चों में लेजी आईज की समस्या आ जाती है. कुछ मामलों में बच्चों की आंखों की रोशनी कमजोर होती है और बच्चा चश्मा नहीं लगाता है इसके कारण भैंगापन आ जाता है’

बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी जरूरी

डॉक्टर वंदना गुलेरिया ने कहा कि,’चीन, जापान जैसे देशों में मायोपिया यानी चश्मे की समस्या 80 से 85 प्रतिशत तक पहुंच गई है. इन देशों में स्कूल में बच्चों को एक घंटा खेलना अनिवार्य किया गया है, इसलिए बच्चों को बाहर खेलने कूदने के लिए भेजना चाहिए.बच्चों के लिए आउटडोर एक्टिविटी बहुत जरूर है. बच्चों को जंक फूड से दूर रखना चाहिए और उन्हें हरी पत्तेदार सब्जियां आहार में देनी चाहिए.’

काजल से बच्चों की आंखों में हो सकता है इन्फेक्शन

नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा कि, ‘कई बार घर के बुजुर्ग या अभिभावक छोटे बच्चों की आंखों में काजल लगाते हैं. उनका मानना है कि इससे बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों बढ़ी होती है. इसे लेकर वंदना गुलेरिया ने कहा कि इसमे कोई सच्चाई नहीं है. कई बार काजल ढक्कन खुला रहता है. इससे बच्चों की आंखों में इन्फेक्शन का खतरा रहता है.’

ऐसे रखें अपनी आंखों का ख्याल

डॉक्टर वंदना गुलेरिया ने आंखों का ख्याल रखने के लिए कुछ टिप्स बताए हैं, जो इस प्रकार हैं.

  • स्वस्थ भोजन खाएं

अपने आहार में फल, सब्जियां, और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को शामिल करें. 30 साल की उम्र के बाद गाजर, पालक, संतरा और ड्राई फ्रूट्स को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें.

  • रोजाना व्यायाम करें

व्यायाम पॉलीजेनिक विकार, उच्च दबाव और हाईकोलेस्ट्रॉल को रोक सकता है.

  • चश्मा पहनें

जब आप गर्मी या तेज धूप में बाहर जाते है तो सूरज की हानिकारक किरणों से बचने के लिए चश्मा पहनें. इसलिए 100% UV सुरक्षा वाले सनग्लासेस पहनना जरूरी है. सनग्लासेस पहनने से आंखें सूर्य के सीधे संपर्क में आने से भी बच जाती हैं.

  • धूम्रपान से बचें

धूम्रपान उम्र से संबंधित नेत्र रोगों का खतरा बढ़ा सकता है. तो आपको स्मोकिंग की लत को छोड़ना होगा.

इन कारणों से होती हैं आंखों में समस्या

  • पर्याप्त नींद नहीं लेना

पर्याप्त नींद नहीं लेने से आंखों की समस्याएं हो सकती हैं.

  • आंखों की नियमित जांच न करवाना

आंखों की नियमित जांच नहीं कराने से समस्याएं पता नहीं चल पाती हैं. कई बार आंखों की बीमारियां जैसे ग्लूकोमा और डायबिटिज रेटिनोपैथी के शुरुआती लक्षण नहीं दिखते हैं. हमें हर एक से दो साल में आंखों की जांच करवानी चाहिए, जबकि बच्चों और बुजुर्गों को साल में एक बार जरूर आई चेकअप करवाना चाहिए.

  • आंखों की देखभाल में क्या खाएं और क्या नहीं

फल और सब्जियां आंखों के लिए जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती हैं. ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों के लिए फायदेमंद होता है. 40 से अधिक उम्र के लोगों में आंखों की समस्याएं अधिक होती हैं. इसलिए अब आपको बताते हैं कि हमें अपनी आंखों को ठीक रखने के लिए क्या चीजें नहीं खानी चाहिए. अधिक मीठा खाने से हमारी आंखों में समस्या हो सकती है.

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