हिमखबर डेस्क
राज्य सरकार द्वारा चलायी गई योजना कौशल विकास भत्ता, जिसमें निजी संस्थानों में चल रहे प्रशिक्षण के तहत मासिक एक हज़ार रुपये बच्चे को प्रदान किया जाता है, जो प्रशिक्षण फीस की अदायगी के लिए होता है।
वहीं के डी राणा ने कहा कि इस योजना का फायदा उठा कर कुछ निजी शिक्षण संस्थान बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। संस्थान बच्चों को योजना के तहत रजिस्टर कर पैसा छापने का काम करते हैं।
राणा ने साथ में यह भी कहा कि सरकार के पास अपना कोई ऐसा निजी कंप्यूटर शिक्षा कौशल विकास भत्ते के तहत निजी संस्थान आ चुके, बोर्ड नहीं है जिससे कि सरकार के द्वारा फीस के लिए दिया गया पैसा राज्य सरकार का रेवन्यू बढ़ा सके।
उन्होंने कहा कि कौशल विकास भत्ते के अंतगर्त आने बाले अधिकतर संस्थान राज्य के बाहर की प्राइवेट कंपनियाँ या बनायी गई सोसायटियाँ हैं।
के डी राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु को पत्र लिख कर माँग की है कौशल विकास भत्ते के अंतर्गत आने बाले सेंटर संचालकों के बैंक खातों की जाँच हो, क्यूंकि कुछ कंप्यूटर शिक्षण संस्थान संचालकों ने बच्चों के खातों में ऑटो डेबिट लगवायें होते हैं जिससे बच्चों के खाते में जैसे ही रुपए आते हैं वह शिक्षण संस्थान संचालकों के खातों में क्रेडिट हो जातें हैं।
राणा ने कहा कि कुछ संचालकों ने तो बच्चों से चेक साईन करवा के अपने पास रखे होते हैं। इस मानसिकता के कारण बच्चों बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ होता है l और कुछ निजी शिक्षण संस्थान अपनी जेबें भर रहे हैं।
समाजसेवी के डी राणा ने कहा की सरकार भी इसमें आँखे बंद करके सोई हुई है, क्योंकि सरकार के पैसे का फायदा हिमाचल के बाहर की कंपनियाँ उठा रही हैं और बच्चे की सालाना फीस के तहत करोड़ो रुपये हिमाचल के बाहर की कंपनियों को जा रहे हैं।
के डी राणा ने मुख्यमंत्री से माँग की है कौशल विकास भत्ते की योजना को बंद कर दिया जाए ताकि बच्चों के भविष्य को उज्वल बनाया जा सके या तो इसमें संशोधन करके हिमाचल में ऐसा बोर्ड बनाया जाए की सभी निजी शिक्षण संस्थान इस योजना के तहत वहीं से पात्र हो।