केसीसी बैंक में 80 लाख के घोटाले में आरोपी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

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शिमला – नितिश पठानियां 

केसीसी बैंक में 80 लाख रुपये के घोटाले में नामित आरोपी को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के बाद मैनेजर ने अदालत से अग्रिम जमानत याचिका वापस ले ली है।

रिपार्ट का अवलोकन पर न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने पाया कि आरोपी अग्रिम जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है। सतर्कता विभाग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने आरोपी के खिलाफ ऊना में मामला दर्ज किया है।

प्रथम दृष्टया आरोपी की ओर से भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 467, 471, 477 ए और 120 बी तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 के तहत जुर्म किया जाना पाया गया है।

28 सितंबर 2022 को कमल देव भोगल ने अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। हालांकि अदालत ने 29 सितंबर 2022 को अग्रिम अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश पारित किए थे। आरोपी को जांच में शामिल होने को कहा गया था।

अदालत ने विजिलेंस से मामले की ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। विजिलेंस ने अदालत को रिपोर्ट के माध्यम से बताया कि आरोपी केसीसी बैंक की शाखा ऊना में मैनेजर के पद पर सेवारत था।

उसने संदीप कुमार, दिनेश दिवेत और अन्य लोगों से मिलीभगत कर बैंक में 80 लाख रुपये का घोटाला किया है।

जांच में पाया कि इसके लिए आरोपी मैनेजर ने चार अलग अलग फर्जी बैंक खाते खोले और 20-20 लाख रुपये के फर्जी ऋण स्वीकृत किए।

इन फर्जी खातों से रतन सिंह, बंदना ठाकुर, हरदीप कौर और अराध्य कंपनी को पैसे स्थानांतरित किए गए। आरोपी की संगीन जुर्म में संलिप्तता पाए जाने पर अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार किया है। लिहाजा आरोपी ने अदालत से अपनी याचिका वापस ले ली।

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