दिव्यांग बच्चों के लिए काम करने के लिया किया गया सम्मानित
कुल्लू – अजय सूर्या
कुल्लू की रहने वाले श्रुति मोरे भारद्वाज बीते कई सालो के विकलांग बच्चों के लिए कार्य कर रही है. यहां श्रुति मोरे द्वारा बच्चों के ट्रीटमेंट के लिए थेरेपी ऑन व्हील सेवा भी चलाई गई है. जिससे कुल्लू के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले लोगों को लाभ मिला है.
दिल्ली के प्रगति मैदान ने आयोजित “संत ईश्वर सम्मान” समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में सेवा भाव से कार्य करने वाले 17 साधकों को सम्मानित किया गया, जिनमें कला, साहित्य, पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को चुना गया था. इस दौरान कुल्लू जिला से संबंध रखने वाली डॉ. श्रुति मोरे भारद्वाज को भी इस संत इश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया.
डॉ श्रुति को यह सम्मान हिमाचल प्रदेश में प्रारंभिक हस्तक्षेप, विकलांगता क्षेत्र और भारत की पहली मोबाईल थैरेपी वैन शुरू करने के लिए दिया गया. श्रुति ने बताया की शुरू में उनके भी अपने दोस्तों की तरह विदेश में काम करने और एक उज्ज्वल भविष्य सुरक्षित करने के बड़े सपने थे। लेकिन इसके बजाय, उसने कुल्लू लौटने का साहसी निर्णय लिया, तब भी जब उसके माता-पिता पूरी तरह से साथ नहीं थे।
एक साइकिल यात्रा के दौरान जब वह पहली बार कुल्लू आई तो उनकी मुलाकात कुल्लू के एक गांव में पुराने घर में मासिक धर्म और विकलांगता से जूझ रही एक युवा विकलांग लड़की सोनाली से हुई जिसने उनके जीवन में सब कुछ बदल दिया!
उसके बाद विदेश जाकर काम करने और बड़े शहर की चकाचौंध को छोड़कर उस अनुभव ने उन्हें जरूरतमंद बच्चों की मदद करने के उनके मिशन को प्रेरित किया। उन्होंने सबसे पहले एक स्थानीय एनजीओ के साथ काम किया, और इसके तुरंत बाद, उन्होंने संफिया फाउंडेशन की स्थापना की.
यहां तक कि भारत की पहली थेरेपी बस-थेरेपी ऑन व्हील्स भी लॉन्च की है, जो दूरदराज के इलाकों में बच्चों को आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करती है। जल्द ही यह कार्यक्रम चंबा और लाहौल के दूरदराज के इलाकों में भी शुरू होने जा रहा है। उनके समर्पण ने न केवल कई उपेक्षित बच्चों का जीवन बदल दिया है बल्कि उनके परिवारों में भी एक आश का संचार किया है!