हिमखबर – शम्मी धीमान
काले तेल के काले धंधे में हिमाचल सरकार को करोड़ों के टैक्स का चुना लग रहा है, और सरकार कुम्भकरणी नींद में सोइ हैँ। काला तेल से अभिप्राय यह हैँ की जब हम अपने छोटे – बड़े, दो पहिया या चार पहिया वाहन की सर्विस करवाते हैँ, तो जो सर्विस के बाद पुराना इंजन आयल निकाल दिया जाता हैँ। उसे यूजड इंजन आयल या काला तेल बोलते हैँ।
हिमाचल में हजारों वाहनों की रोज सर्विस होती हैँ और हजारों लीटर यूजड आयल निकलता हैँ। सोचने वाली बात हैँ की इतना तेल जाता कँहा हैँ। यह बात जाननी जरुरी हैँ की इस यूजड आयल का आखिर किया क्या जाता हैँ। यह तेल साथ लगते राज्यों में लगे बड़े बड़े रिसाइकिल प्लांट्स में जाता हैँ और रिसाइकिल कर के अच्छे दामों पर बेचा जाता हैँ और मोटा मुनाफा कमाया जाता हैँ।
इस यूजड आयल को लेने पंजाब से रोज कई अन ऑथराइज्ड वाहन रोज हिमाचल आते हैँ। जिन के पास हिमाचल से तेल इकट्ठा करने और ले जाने की किसी भी तरह की परमिशन नहीं होती हैँ और यह लोग जिप्स में काला तेल खुले ड्रम्स में रोड पर गिराते हुए ब्यस्त बाजारों और इंडस्ट्रियल एरिया से गुजरते हैँ।
इस तेल में कुछ मात्रा पैट्रोल की भी होती हैँ। जो इस तेल को और भी ज्वलंशील बना देता हैँ और बद्दी जैसा अग्निकांड कंही भी हो सकता हैँ। कई बार यह तेल अनऑथराइज्ड व्हीकल में ले जाते टाइम रोड पर गिर ज़ाता हैँ और कई दो पहिया वाहन वाले अपनी जान गवा बैठते हैँ।
पर्यावरण की दृष्टि से भी यह तेल जँहा गिर जाये, वहां पेड़ पौधे नहीं पनपते। इस समय हिमाचल सरकार को करोड़ों का चुना लग रहा हैँ, और सेल्स एंड टैक्सेशन डिपार्मेंट व पुलिस डिपार्टमेंट सोया पड़ा हैँ। उनकी नाक के निचे सब हो रहा हैँ। यह वाहन पंजाब और हिमाचल बॉर्डर पर धड़ले से आ जा रहे हैँ और इनको पूछने वाला कोई नहीं हैँ।
हिमाचल सरकार को हिमाचल के इस कार्य के लिए अधिकृत वाहनों और क्रेतायों के साथ मीटिंग कर इस समस्या का समाधान निकलना चाहिए। हिमाचल के अधिकृत क्रेता अपने प्रचेज बाउचर पर ही यूजड आयल मार्किट से खरीदते हैँ और सरकार को टैक्स देते हैँ। हिमाचल सरकार को जल्द से जल्द कारवाई अमल में लाते हुए इन वाहनों और लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई करनी चाहिए।