ब्यूरो- रिपोर्ट
सिरमौर जिले के धगेड़ा स्वास्थ्य खंड की आशा कार्यकर्ता ने कर्तव्यपरायणता की मिसाल पेश की है। रविवार को जहां लोग छुट्टी मना रहे थे। आशा कार्यकर्ता आठ किलोमीटर का सफर तय कर दुर्गम क्षेत्र जांदर बास्त पहुंच गई।
इतना लंबा सफर किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। उबड़-खाबड़ रास्तों को पार करने से बड़ी चुनौती घना जंगल और रास्ते के बीच आने वाली दो नदियों को पार करना था। आशा कार्यकर्ता इसकी परवाह किए बगैर गांव तक पहुंच गईं।
एक तरफा आठ किलोमीटर का सफर दो घंटे में तय करने के बाद आशा कार्यकर्ता इतना ही सफर तय कर घर लौटीं। बात की जा रही है आशा कार्यकर्ता कुसुम लता की।
स्वास्थ्य खंड धगेड़ा के दुर्गम स्वास्थ्य उपकेंद्रों में शुमार आंजी बनूना में कार्यरत कुसुम लता रविवार को जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य की जांच और देखभाल को लेकर जांदर बास्त गांव पहुंचीं। हालांकि, इस गांव के लिए संपर्क सड़क की व्यवस्था है।
लेकिन, बरसात के दौरान सड़क की हालत काफी खस्ता हो चुकी है और सड़क के रास्ते भी इस गांव की दूरी 12 से 13 किलोमीटर है। नेहर सवार पंचायत के हरकू ढमौत की रहने वाली आशा कार्यकर्ता कुसुम लता ने इस गांव तक पहुंचने के लिए शॉर्ट कट रास्ते का प्रयोग किया जो एकतरफा आठ किलोमीटर है।
जांदर बास्त गांव में छह सितंबर को हुई डिलीवरी को लेकर कुसुम लता पैदल ही निकल गईं। दो घंटे में वह घने जंगल से होते हुए जलाल और गंभर नदी को पार कर जांदर बास्त गांव पहुंचीं। इस समय जब नदियां उफान पर हैं। फिर भी आशा कार्यकर्ता ने चुनौती को स्वीकार किया।
जहां उन्होंने प्रसूति महिला को कैल्शियम और आयरन की दवाइयां दीं। साथ ही नवजात के तापमान, अंगों की देखभाल और उसका वजन कर रिपोर्ट हासिल की। सफर के दौरान आशा कार्यकर्ता ने दूसरे गांव की महिलाओं को भी आयरन, कैल्शियम, ब्रुफिन, ओआरएस और अन्य किटें वितरित की।
बही बीएमओ डॉ. मोनीषा अग्रवाल और स्वास्थ्य शिक्षिका कृष्णा राठौर ने आशा कार्यकर्ता की इस कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा की है।