शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने किया ऐलान, भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में किया जाएगा संशोधन
शिमला, जसपाल ठाकुर
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी का पदनाम देने की तैयारी शुरू हो गई है। इससे लगभग 9376 शिक्षकों का सपना पूरा होगा। बता दें कि लंबे समय से शास्त्री व हिंदी के शिक्षक सरकार से टीजीटी यानी कि ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर का दर्जा मांग रहे थे।
योग्यता और आरएंडपी रूल्स आढ़े आने की वजह से कई ऐसे भी अनुभवी शिक्षक हैं, जिन्हें 20 से 25 साल सेवाएं देते हो गए हैं, लेकिन वे अभी तक टीजीटी नहीं बन पाए है। मंगलवार को शिक्षा मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने इन शिक्षकों को टीजीटी का पदनाम देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जल्द ही जितने भी शास्त्री व एलटी हैं, उन्हें प्रोमोशन दी जाएगी।
शिक्षा विभाग को प्रोपोजल बनाकर सरकार को इस बाबत सिफारिशें भेजने को कहा गया है। इस माह होने वाली कैबिनेट की बैठक से पहले शिक्षा विभाग को शास्त्री व एलटी शिक्षकों की प्रोमोशन का प्रोपोजल भेजना होगा। उस प्रोपोजल के बाद आरटीई नियम में संशोधन किया जाएगा।
बता दें कि प्रदेश में मौजूदा समय में 5288 शास्त्री व 4077 भाषा अध्यापक है। इनमें से 1200 के करीब शिक्षक हैं, जोकि बीएड कर चुके है। विभिन्न शिक्षक संघ लंबे समय से मांग कर रहे थे कि शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी पद का नाम दिया जाए। हालांकि शिक्षक संघ बिना बीएड व केवल दसवीं की शैक्षणिक योग्यता करने वाले शिक्षकों को भी टीजीटी बनाने की बात कह रहे थे।
अब सरकार आरएंडपी रूल्स में बदलाव कर क्या-क्या नियम बनाती है, यह देखना होगा। हालांकि जानकारी के अनुसार आरएंडपी रूल्स में संशोधन कर बीएड व अनुभव के आधार पर इन दोनों वर्गों के शिक्षकों की प्रोमोशन कर उन्हें टीजीटी का पदनाम दिया जाएगा।
एसएमसी के लिए भी पॉलिसी बनाएगी सरकार
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मंगलवार को यह भी बताया कि सरकारी स्कूलों में तैनात एसएमसी शिक्षकों के लिए भी पॉलिसी बनाई जा रही है। इसको लेकर सरकार शिक्षा अधिकारियों के साथ प्लानिंग बना रही है। अगर एसएमसी शिक्षकों के लिए पॉलिसी बन जाती है, तो इससे करीब 2500 से ज्यादा शिक्षकों को राहत मिलेगी।