विशेष संवाददाता – शिमला
लगातार बढ़ती महंगाई का प्रभाव सरकारी विकास कार्यों पर भी पड़ने लगा है। पिछले एक महीने में नौवीं बार पेट्रोल व डीजल के दामों में हुई बढ़ोतरी के बाद भवन सामग्री के दाम भी सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। इसके चलते हिमाचल में काम कर रही कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने आबंटित कायर्ोें से हाथ वापस खींच लिए हैं। हालात इस कद्र बिगड़ गए हैं कि सरकारी ठेकेदारों ने भी प्रदेश भर के कामों को छोड़ने की धमकी दे डाली है।
जाहिर है कि जिस तरह से पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे सरकारी ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। उनकी बड़ी-बड़ी मशीनें चलती हैं और तेल के दाम बढ़ने से उनका बोझ बढ़ गया है। ये लोग सरकार से राहत चाहते हैं और चाहते हैं कि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही, उसी हिसाब से उनके कॉन्ट्रैक्ट का भी रिवीजन होना चाहिए, ताकि इन लोगों पर जो अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, उससे उन्हें राहत मिले। गौर हो कि प्रदेश में लोक निर्माण विभाग ठेकेदारों के माध्यम से लगातार सड़कों व पुलों के काम करवा रहा है, वहीं जलशक्ति विभाग भी ठेकेदारों के माध्यम से काम करवाता है। ऐसे में डीजल का रेट पिछले तीन महीने में 18 रुपए तक बढ़ चुका है।
वर्तमान में यह रेट 78 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर तक पहुंचा है। जिस ठेकेदार की जेसीबी मशीनें व पांच ट्रक चल रहे हैं, उसं रोजाना हजारों रुपए का घाटा वहन करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, जिस तरह से पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे वाहनों के स्पेयर पार्ट्स भी महंगे हो चुके हैं। इसके अलावा माइनिंग रॉयल्टी के नाम पर सरकार ने ठेकेदारों से काफी ज्यादा वसूली कर रही है। इतना ही नहीं, सीमेंट का रेट भी लगातार बढ़ रहा है क्योंकि कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। सीमेंट के प्रति बोरी रेट 410 रुपए हो चुके हैं, जो और बढ़ रहे हैं।
वहीं, स्टोन क्रशर मालिकों ने भी रेत व बजरी के दाम बढ़ा दिए हैं। ठेकेदार यूनियन के अध्यक्ष नवनीत ठाकुर ने कहा कि सरकारी अदारा महंगाई के इन कारणों पर कोई गौर नहीं कर रहा है, जिससे ठेकेदार बेहद ज्यादा परेशान हैं। सरकार इन पर नियंत्रण के लिए कोई कदम नहीं उठाती है तो प्रदेश के ठेकेदार अपने काम बंद कर देंगे। ऐसा होता है तो इसका नुकसान आम जनता के साथ सरकार को भी वहन करना पड़ेगा।
सरकार के दरबार में धर्मशाला पहुंचे ठेकेदार
बुधवार को प्रदेश की प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनियों और ठेकेदारों के बीच धर्मशाला में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई। होटल कुनाल में आयोजित इस बैठक के बाद ठेकेदारों ने निर्णय लिया कि सरकार या उनके आबंटित कार्यों को रिवाइज्ड करे, नहीं तो वे काम छोड़ देंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत पूरा मंत्रिमंडल धर्मशाला पहुंचा था। इस दौरान ठेकेदारों ने सरकार को अपनी दिक्कतों से अवगत करवाया।