आऊटसोर्स कर्मचारी वर्ग ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर लगाई न्याय की गुहार

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शिमला – नितिश पठानियां 

हिमाचल के विभिन्न सरकारी विभागों में बीते 20 से 25 वर्षों से कार्यरत आऊटसोर्स कर्मचारियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर अपनी नियमितीकरण की वर्षों पुरानी मांग को फिर से उठाया है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि आऊटसोर्स कर्मचारियों ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष सरकारी सेवा में इस विश्वास के साथ समर्पित कर दिए कि एक न एक दिन उन्हें भी नियमित किया जाएगा लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।

तर्क दिया गया है कि कई सरकारों ने वायदे किए, कैबिनेट सब कमेटियां बनी और विधानसभा में घोषणाएं भी हुईं, लेकिन आज तक आऊटसोर्स वर्ग को उनके अधिकार से वंचित ही रखा गया है।

संबंधित पत्र की प्रतिलिपि बुधवार को मीडिया में जारी की गई है। पत्र प्रदेश के समस्त आऊटसोर्स कर्मचारी वर्ग की तरफ से जारी किया गया है और उसमें किसी एसोसिएशन या आऊटसोर्स कर्मचारी के नाम का उल्लेख नहीं है।

लिखा गया है कि यह पत्र आऊटसोर्स कर्मचारियों की आखिरी उम्मीद और अंतिम आवाज के रूप में प्रेषित किया गया है।

साथ ही उल्लेख किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने पीटरहॉफ में खड़े होकर आऊटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही थी।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आऊटसोर्स कर्मियों के पक्ष में बयान दिया था और हरियाणा मॉडल पर नीति को सैद्धांतिक मंजूरी भी दिलाई थी, लेकिन सत्ता के बदलाव के साथ हर बार यह प्रक्रिया अधूरी रह गई।

आऊटसोर्स कर्मचारी वर्ग ने राहुल गांधी से मांग की है कि वे इस अन्याय के विरुद्ध उनकी आवाज बनें और उन्हें विभागीय समायोजन के माध्यम से न्याय दिलाएं।

दुख इस बात का नहीं, पीड़ा इस बात की

पत्र में उल्लेख है कि दुख इस बात का नहीं कि उन्हें नियमित नहीं किया गया, पीड़ा इस बात की है कि आऊटसोर्स कर्मचारी एकमात्र वर्ग है, जिन्हें वर्षों की सेवा के बावजूद नजरअंदाज किया गया है जबकि अन्य संविदा श्रेणियों जैसे पैरा टीचर, पीटीए शिक्षक, पंचायत अनुबंध कर्मचारी आदि को समय-समय पर नियमित किया गया।

समान कार्य के लिए समान वेतन

पत्र के माध्यम से समान कार्य के लिए समान वेतन और सामाजिक न्याय की दुहाई देते हुए राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे इस गंभीर मुद्दे को संसद और नीतिगत मंचों तक उठाएं।

यह भी कहा गया है कि आऊटसोर्स कर्मचारी 10 से 15 हजार रुपए के वेतन पर ही अपनी सेवा पूरी कर लेता है और पैंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा से भी वंचित रह जाता है। ऐसे में ओपीएस की बहाली का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पाता क्योंकि उनकी सेवाएं नियमित ही नहीं की जातीं।

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