अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस: हाथ नहीं लेकिन हौंसले बुलंद, शिक्षक हरिदत्त ने दिव्यांगता को बनाया ताकत

--Advertisement--

सिरमौर – नरेश कुमार राधे

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर पांवटा साहिब के मालगी गांव के रहने वाले हरिदत्त शर्मा का जज्बा और समर्पण हर किसी के लिए प्रेरणा है। दोनों हाथों के बिना भी हरिदत्त न केवल अपना जीवन स्वाभिमान से जी रहे हैं, बल्कि शिक्षक के रूप में बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं।

हरिदत्त शर्मा ने 1992 में एक वॉलेंटियर शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं शुरू कीं और 1998 में नियमित शिक्षक बन गए। तब से वे मालगी स्कूल में शिक्षा का दीप जलाते आ रहे हैं। उनके पास हाथ नहीं हैं, लेकिन पैरों से लिखने की उनकी कला अद्वितीय है। जब वे ब्लैकबोर्ड पर पैरों से लिखते हैं, तो हर कोई उनकी साफ और सुंदर लिखावट देखकर चकित रह जाता है।

उनकी शिक्षण शैली और व्यक्तित्व बच्चों के साथ-साथ सहकर्मियों को भी प्रेरित करती है। उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज उच्च पदों पर कार्यरत हैं। बचपन में पैरों से लिखने का अभ्यास शुरू करने वाले हरिदत्त ने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया।

हरिदत्त बताते हैं कि वे अपनी दिनचर्या के सभी कार्य खुद करते हैं और परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं। उनकी पत्नी और दो बेटे उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत हैं। दिव्यांगता को कमजोरी न मानते हुए अपनी ताकत बनाने वाले हरिदत्त शर्मा आज उन सभी के लिए एक मिसाल हैं, जो किसी भी प्रकार की शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर, हम हरिदत्त शर्मा के जज्बे और समर्पण को सलाम करते हैं।

--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related

सहकारिता विभाग में खाली चल रहे 900 पदों को भरने का विचार

शिमला, 04 दिसंबर - नितिश पठानियां  उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री...

नाहन मेडिकल कॉलेज में रैगिंग, 7 MBBS छात्र निलंबित, 5.25 लाख जुर्माना

सिरमौर - नरेश कुमार राधे  डॉ. वाईएस परमार राजकीय मेडिकल...