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हिम खबर डेस्क

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सफल होने के लिए साधन संपन्न होने की जरूरत नहीं, बल्कि कुछ कर दिखाने का जज्बा और कड़ी मेहनत का होना आवश्यक है। हौसलें के आगे सारी समयस्याएं बौनी साबित हो जाती है।

जीवन में कुछ हादसे ऐसे होते हैं, जिसके बाद इंसान जीने की लालसा तक छोड़ देता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इन चुनौती को सामना करते हुए अपना मुकाम हासिल कर लेते हैं। आगरा का “सूरज तिवारी” भी उन चंद लोगों में से एक है।

न दोनों पैर न एक हाथ, जो हाथ सलामत है उसकी भी दो उंगलियां नहीं, बावजूद इसके सूरज ने देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर दिखाया। यह उन लोगों के लिए सबक है, जो संसाधनों के अभाव का बहाना बनाकर अपने लक्ष्य से मुंह मोड़ लेते हैं। सूरज के सफलता की कहानी किसी को भी आगे बढ़ने का हौसला दे सकती है।

दरअसल, सूरज आगरा के एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता है। सूरज के पिता राजेश तिवारी टेलर मास्टर हैं। पिता की कुरावली में छोटी सी सिलाई की दुकान है, जिससे परिवार का खर्चा चलता है। सूरज तिवारी उनके छोटे पुत्र हैं।

29 जनवरी 2017 को सूरज के बड़े भाई राहुल की मौत गई थी। बड़े बेटे की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिवार हादसे से उबरने की कोशिश कर ही रहा था कि 27 मई 2017 को सूरज के साथ हुए भीषण ट्रेन हादसे ने पूरे परिवार की उम्मीदों को तोड़ दिया।

दिल्ली से घर आते समय बादलपुर रेलवे स्टेशन पर भीड़ के दबाव में उनका पैर फिसला तो वह ट्रेन की चपेट में आ गए और उनके दोनों पैर, दायां हाथ और बाएं हाथ की अंगुलियां कट गई।

सूरज के लिए यह समय सबसे कठिन था। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही ठीक नहीं थी। 4 महीने तक सूरज का इलाज चला, जिसके बाद घर की स्थिति और भी दयनीय हो गई थी। लेकिन सूरज ने हार नहीं मानी।

समय बीतता गया और हर बड़ी से बड़ी समस्या सूरज के हौसलों के आगे बौनी साबित होने लगी। 23 मई 2023 को जान UPSC का परिणाम घोषित हुआ तो पूरा देश सूरज को बधाई देने लगा। सूरज देश की सबसे प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक परीक्षा में ‘सूरज’ की तरह चमके और 917 वां रैंक हासिल कर परीक्षा को पास किया।

सूरज ने आर्थिक स्थिति और  दिव्यांगता  को अपने रास्ते में मुश्किल नहीं बनने दिया और अपनी मंजिल पा ली। सूरज के पिता ने बताया बेटे ने 18 से 20 घंटे तक पढ़ाई की। सूरज ने ये सफलता बिना किसी कोचिंग व एक्स्ट्रा क्लासेज के हासिल की है।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने भी बेटे को इस सफलता पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि ” मैनपुरी के दिव्यांग सूरज तिवारी ने आईएएस की परीक्षा पहली बार में ही निकाल कर साबित कर दिया कि संकल्प की शक्ति अन्य सब शक्तियों से बड़ी होती है। सूरज की इस ‘सूरज’ जैसी उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई और उज्ज्वल भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएँ!”

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