IFS ऑफिसर बनकर बढ़ाएं देश का मान, यह है चयन प्रक्रिया

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सरकारी नौकरी का सपना तो हर युवा देखता है, लेकिन इनमें भी कई नौकरियां ऐसी होती हैं, जिनमें मिलने वाली सुख-सुविधाएं और पावर का कोई मैच नहीं होता है। ऐसी ही नौकरी है इंडियन फॉरेन सर्विस यानी आईएफएस ऑफिसर की। ये अधिकारी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अधीन काम करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। फॉरेन सेक्रेटेरी, फॉरेन सर्विसेज के हैड होते हैं…

हिमखबर डेस्क

यदि आप विदेश मंत्रालय से जुडक़र आईएफएस ऑफिसर के पद पर अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो ये बेस्ट ऑप्शन है। इंडियन फॉरेन सर्विस यह भारतीय विदेश मंत्रालय को चलाने के लिए एक खास सेवा है, जो भारत के बाहर होने वाले कार्यों को मैनेज करती है।

आईएफएस ऑफिसर दूसरे देशों यानी कि अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा भारत के साथ दूसरे देश के कल्चरल रिश्ते को कैसे बढ़ावा देना इसकी जिम्मेदारी भी आईएफएस ऑफिसर को होती है। यह एक बेहद ही जिम्मेदारी वाली पोस्ट होती है। देश के विदेश मंत्रालय के कार्यों को संभालने के लिए एक विभाग बनाया गया है भारतीय विदेश मंत्रालय।

यह मंत्रालय देश के बाहर होने वाले देश से जुड़े मसलों को मैनेज करता है। इन्हीं कार्यों के लिए नियुक्त होने वाले अधिकारी आईएफएस ऑफिसर कहलाते हैं। आईएफएस ऑफिसर अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में भारत को रिप्रजेंट करते हैं। वहीं, भारत के साथ दूसरे देश के कल्चरल रिश्ते को कैसे बढ़ावा देने की जिम्मेदारी भी आईएफएस ऑफिसर की ही होती है।

विदेश में नियुक्ति

आईएफएस का फुल फॉर्म इंडियन फॉरेन सर्विस होता है। इस सर्विस के लिए नियुक्त ऑफिसर को ही भारत का राजदूत या डिप्लोमेट्स कहते हैं। इस पोस्ट पर आपको विदेशों में रहने का मौका मिलता है। आईएफएस एग्जाम आयोजन यूपीएससी करता है। बता दें कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस इन दिनों सेवाओं के लिए एक ही एग्जाम होता है।

योग्यता

आईएफएस ऑफिसर बनने के लिए आपके पास किसी भी मान्यता प्राप्त कालेज से ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। आईएफएस ऑफिसर की परीक्षा यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाती है। आप अपने ग्रेजुएशन के आखिरी साल में पढ़ाई करते वक्त इसकी परीक्षा दे सकते हैं।

आईएफएस ऑफिसर के लिए अप्लाई करने से पहले आपको अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। अगर आप इस परीक्षा में सफल हो जाते हैं, तो आपको ट्रेनिंग पर भेज दिया जाता है। ट्रेनिंग के बाद एक आईएफएस ऑफिसर को विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास में काम करने का मौका मिलता है…

  • आईएफएस बनने के लिए उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/ संस्थान से स्नातक होना अनिवार्य है।
  • इसके बाद उसे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है।
  • परीक्षा के दोनों चरणों को पास करने के बाद उम्मीदवार को साक्षात्कार परीक्षा पास करनी होती है।
  • इस परीक्षा में शीर्ष रैंक (लगभग शीर्ष 120 रैंक) हासिल करने वाले उम्मीदवार ही भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी बन पाते हैं।
  • इस सेवा में वहीं जा सकते हैं, जो हिंदी, अंग्रेजी या अन्य किसी विदेशी भाषा में पारंगत हों।
  • चयन के बाद अधिकारियों की तीन महीने की शुरुआती ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ही होती है।
  • इस ट्रेनिंग के पूरी होने के बाद भी आईएफएस अधिकारी को करीब अढ़ाई साल अलग-अलग तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है।

चयन प्रक्रिया

इंडियन फॉरेन सर्विस ऑफिसर के लिए आपको परीक्षा के तीनों चरण पास करने होंगे, जिसके आधार पर आपको ट्रेनिंग दी जाएगी और पद दिया जाएगा…

प्रिलिमीनरी एग्जाम : इस परीक्षा में आपसे वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसे पास करने के लिए अच्छे अंक प्राप्त करने होते हैं। यह परीक्षा पास करने के बाद आपको एक फॉर्म भरना होता है, जिसमें आपके रूचि के अनुसार पोस्ट और सर्विसेस अलॉट रहती हैं। अत: ये अलॉटमेंट आपके रैंक के आधार पर किया जाता है।

मेन्स एग्जाम : मुख्य परीक्षा में आपसे नौ प्रश्न पूछे जाते हैं, जो अलग-अलग विषय से होते हैं। इस परीक्षा को पास करने के बाद आपको इंटरव्यू के लिए चुना जाता है।

इंटरव्यू : इंटरव्यू प्रोसेस में आपके रूचि के अनुसार प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसके आधार पर सर्विस और पोस्ट दी जाती है।

टिप्स

आईएफएस ऑफिसर बनने के लिए आपको सबसे पहले यूपीएससी एग्जाम के सिलेबस के बारे में अच्छे से जानकारी होनी चाहिए। पहला पेपर 200 अंक का होता है और दूसरा पेपर 600 अंक का होता है, जिसमें आपको अच्छे अंक प्राप्त करने होने होते हैं। इसके आधार पर ही आप आगे की प्रक्रिया में जाते हैं।

अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान की अच्छी पकड़ होनी चाहिए। आपको एग्जाम की तैयारी हमेशा मेन्स एग्जाम के आधार पर करनी चाहिए। अपनी पढ़ाई को 10 से 12 घंटे का समय दें। जो भी पढ़ें उनके अपनी भाषा में नोट्स बनाते रहें, ताकि जब आपको दोबारा वही टॉपिक पढऩा हो तो आपको नोट्स पढ़ के आसानी से टॉपिक समझ में आ जाए।

नियमित रूप से अखबार पढ़ें और देश-विदेश में राजनितिक, आर्थिक समाजिक, विदेशी व्यापार, विदेशी रिश्तों से जुड़ी घटनाओं पर नजर रखें। आपका बेहतर आत्मविश्वास इंटरव्यू राउंड में आपकी मदद करेगा।

करियर

  • आईएफएस में चयनित अभ्यर्थी विदेश मंत्रालय में सचिव, विदेश सेवा विभागों के प्रशासनिक अधिकारी, दूतावास, महावाणिज्य दूतावास, राजनयिक मिशन में आयुक्त यानी कमिश्नर बनते हैं।
  • एक आईएफएस अधिकारी ही विदेश मंत्रालय में सचिव, उप सचिव, सहायक सचिव, अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव और विदेश सेवा के सबसे बड़े पद विदेश सचिव पर काबिज हो सकते हैं।
  • विदेश मंत्रालयों के विभागों और उपक्रमों, विभिन्न देशों में भारत सरकार के प्रतिनिधि, विदेशों में स्थित कार्यालयों में भी आईएएस अधिकारी को ही नियुक्ति मिलती है।

ट्रेनिंग

सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बावजूद आईएफएस अधिकारी बनने के लिए तीन साल तक प्रशिक्षण लेना पड़ता है। प्रशिक्षण के समयबद्ध चार चरण होते हैं, हालांकि, आवश्यकतानुसार सेवाकाल में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं…

  • आधारभूत प्रशिक्षण – चार माह (राष्ट्रीय अकादमी, मसूरी में)
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण – 12 वर्ष (जिला स्तरीय और विदेश सेवा संस्थान, नई दिल्ली में)
  • व्यावहारिक प्रशिक्षण – छह माह (विदेश मंत्रालय के अंतर्गत)
  • परिवीक्षा प्रशिक्षण – 14 माह (विदेश स्थित उच्चायोग/दूतावास में)

आईएफएस अधिकारी के प्रमुख कार्य

आईएफएस अधिकारी डिप्लोमेसी से जुड़े मामलों में काम करते हैं और द्विपक्षीय मामलों को हैंडल करते हैं। आईएफएस अधिकारी के अहम कार्यों में भारत के हितों की रक्षा करना, विदेशी सरकारों से मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना। जिस देश में वे तैनात हैं, वहां की सरकार के कामकाज, विकास की रिपोर्टिंग करना।

सरकार से विभिन्न समझौतों पर बातचीत करना। संयुक्त राष्ट्र में तैनाती के दौरान भारत और भारतीयों के वैश्विक हित के लिए काम करना, नीतिगत निर्णय, मुद्दे उठाना और जवाब देना भी शामिल है। दोनों देशों के बीच सम्मानजनक सुविधाओं का विस्तार करना, वहां मौजूद भारतीय नागरिकों की चिंता करना आदि प्रमुख काम शामिल हैं।

बतौर राजनयिक ये अधिकारी विभिन्न मुद्दें जैसे राजनीतिक और आर्थिक सहयोग, व्यापार और निवेश प्रोत्साहन व सांस्कृतिक संबंध आदि मामलों को देखते हैं। ये अंतरराष्ट्रीय विधिक मामलों, भारतीय डायस्पोरा, नि:शस्त्रीकरण, प्रेस और प्रचार, नवाचार, प्रशासन तथा अन्य कार्यों को भी देखते हैं।

रुतबा

  • आईएफएस अधिकारी अदालत में गवाह के रूप में पेस होने से प्रतिरक्षा प्राप्त होती हैं।
  • उन्हें नागरिक या प्रशासनिक अदालत में गवाही के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
  • कई देशों में पुलिस और कानूनी नियमों से भी प्रतिरक्षा प्राप्त होती है।
  • यात्राओं के दौरान ये अपने व्यक्तिगत सामान के निरीक्षण से भी छूट प्राप्त कर सकते हैं।
  • आईएफएस को किसी भी प्रकार से गिरफ्तार या हिरासत में नहीं रखा जा सकता है।
  • आईएफएस अधिकारियों को अपने कार्यों के निर्वहन के लिए संचार की स्वतंत्रता होती है।
  • आईएफएस अधिकारी की गाड़ी की नंबर प्लेट नीले रंग की होती है।
  • इस तरह की नंबर प्लेट किसी ओर को अधिकारी को नहीं मिलती।

सैलरी, भत्ते और सुविधाएं

  • विदेश सेवा अधिकारियों का वेतन स्केल के आधार पर होता है, जैसे- जूनियर स्केल, सीनियर स्केल, सुपर टाइम स्केल, इसके अलावा वेतनमानों में अलग-अलग वेतन बैंड भी होते हैं।
  • आईएफएस अधिकारियों को काफी बेहतरीन वेतन, कई प्रकार के भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं। सातवें वेतन आयोग के अनुसार आईएफएस अधिकारी की बेसिक सैलरी 56,100 रुपए महीना होती है।
  • टीए-डीए जैसे भत्तों को गिने तो नौकरी की शुरुआत में ही एक आईएफएस अधिकारी को वेतन एक लाख रुपये से ज्यादा होता है, जबकि शीर्ष पद विदेश सचिव, राजदूत, महावाणिज्य दूत के लिए करीब 2,25,000 रुपए प्रतिमाह तक पहुंच जाती है।
  • इन अधिकारियों को तमाम सुविधाएं जैसे बंगला, कुक, चपरासी और स्टाफ शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें दूरभाष, यात्राएं भी फ्री होती हैं।
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